चले गए हो तुम
दूर देस .
तब भी ...
दिल में
वैसे ही
रहते हो तुम .
अक्सर ,
दिल के इस मकान के बाहर
तेरी यादों का जो चबूतरा है
उसपे ही मेरा दिन उतरता है
शाम ढलती है
और फिर ..
बस यूँ ही
बेआवाज़ रात गुज़र जाती है.
ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
समय यूं ही बीत जाता अहि ... जो पास है वही बहुत होता है ...
ReplyDeleteजी,बिलकुल.
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