Saturday, December 7, 2013

बेआवाज़ रात



चले गए हो तुम
दूर देस .
तब भी ...
दिल में
वैसे ही
रहते हो तुम .

अक्सर ,
दिल के इस मकान के बाहर
तेरी यादों का जो चबूतरा है
उसपे ही मेरा दिन उतरता है
शाम ढलती है
और फिर ..
बस यूँ ही
बेआवाज़ रात गुज़र जाती है.

2 comments:

  1. समय यूं ही बीत जाता अहि ... जो पास है वही बहुत होता है ...

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