ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Monday, December 24, 2012
मन के प्लेटफॉर्म पर
ऐसा कभी नहीं हो सकता
कि मन के प्लेटफॉर्म पर
तुम्हारी यादों से भरी
धीरे धीरे चलने वाली
मालगाड़ी न आये .
यह गाडी...
मेरे मन के एक कोने से
दूजे कोने तक
सब दर्द पहुंचाती है
मुस्कानें समेटती है
अश्क बटोरती है
पुरानी बातों को ढोती है
नयी यादों को चढाती है
सब कुछ सहेजती है ....
तुम खुद क्यूँ नहीं आ जाते कभी
यह गाडी लेकर ..
मेरे वजूद के स्टेशन के ...इस मन नाम के प्लेटफॉर्म पर
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मेरे वजूद के स्टेशन के...इस मन नाम के प्लेटफॉर्म पर,,,
ReplyDeleteवाह बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति,,,,
recent post : समाधान समस्याओं का,
आभार!!
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteतुम खुद क्यूँ नहीं आ जाते कभी
ReplyDeleteयह गाडी लेकर ..
मेरे वजूद के स्टेशन के ...इस मन नाम के प्लेटफॉर्म पर ...
बहुत सुन्दर भाव...शुभकामनायें
वो खुद आ जाएँ तो यादें कहाँ रहेंगी ... वो तो गायब हो जायंगी फिर उनकी जरूरत कहाँ रहेगी ...
ReplyDeleteभीनी सी खुशबू लिए ...
आ जायेंगे तो नयी यादें जन्म लेंगी :)
Deleteमालगाड़ी में यादों का माल ही आ सकता है न ... सुंदर रचना
ReplyDeleteजी हाँ...बिलकुल.
Deleteओह …………मोहब्बत इम्तिहान लेती है
ReplyDeleteआशिकों की जान लेती है
Deleteआपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
आपका हार्दिक धन्यवाद!!
Deletewazuud ka station!bahut khuub!
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया!!
ReplyDeletekya khoob kaha hai ...wahhh
ReplyDeleteतुम खुद क्यूँ नहीं आ जाते कभी..
shandar rachna ke liye badhai...
http://ehsaasmere.blogspot.in/
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगबलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
ऐसा कभी नहीं हो सकता
कि मन के प्लेटफॉर्म पर
तुम्हारी यादों से भरी
धीरे धीरे चलने वाली
मालगाड़ी न आये
यह गाडी...
मेरे मन के एक कोने से
दूजे कोने तक
सब दर्द पहुंचाती है
मुस्कानें समेटती है
अश्क बटोरती है
पुरानी बातों को ढोती है
नयी यादों को चढाती है
सब कुछ सहेजती है ....
अछूते बिंबों के साथ बेहतरीन कविता लिखी है
वाह वाऽह ! क्या बात है आदरणीया निधि टंडन जी !
आपकी लेखनी से ऐसे ही सुंदर , श्रेष्ठ सृजन होता रहे …
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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रेल्वे स्टेशन और रेलगाड़ी पर यादों और रिश्तों का गजब का चित्र खींचा है....
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।।।