Sunday, January 13, 2013

अच्छा है न



अच्छा है न
पहुँच तो गयी...तुम्हारी चिट्ठी
फटे हुए किनारे लेकर भी.
फीकी बेरंग हुई स्याही
पीले पड़े कागज़ की पाती.

सालों बाद भी.
उस कागज़ पर ...
तुम्हारे स्पर्श को स्पर्श कर के
मैं तो फिर जवां हो गयी .
मैंने शुक्राने की नमाज़ अदा कर दी.
हमारा प्यार जैसा था..वैसा ही है
हमेशा रहेगा ,यकीन हो चला है.

अच्छा है न कि
मेरी खबर देने वाला
एक कोने से कटा पोस्टकार्ड
तुम तक पहुंचता
उससे पहले
यह मुझ तक पहुँच गयी .

17 comments:

  1. खूबसूरत एहसास ..... कोने से काटा पोस्टकार्ड अच्छा बिम्ब दिया है ...

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  2. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  3. बहुत सुन्दर भाव

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  4. अब सारे राज़ आपके पास...

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  5. लाजबाब,भावमय सुंदर अभिव्यक्ति,,,बधाई निधि जी,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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  6. bahut hi sundar...

    अच्छा है न कि
    मेरी खबर देने वाला
    एक कोने से कटा पोस्टकार्ड
    तुम तक पहुंचता
    उससे पहले
    यह मुझ तक पहुँच गयी .

    bahut kuch keh diya yahan aapne...behtareen

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  7. कटे हुवे कोने वाली पोस्टकार्ड की बात क्यों प्यार की बातों में ...
    गहरे एहसास लिए शब्दों से खेलती हैं आप ...

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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