ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Sunday, January 13, 2013
अच्छा है न
अच्छा है न
पहुँच तो गयी...तुम्हारी चिट्ठी
फटे हुए किनारे लेकर भी.
फीकी बेरंग हुई स्याही
पीले पड़े कागज़ की पाती.
सालों बाद भी.
उस कागज़ पर ...
तुम्हारे स्पर्श को स्पर्श कर के
मैं तो फिर जवां हो गयी .
मैंने शुक्राने की नमाज़ अदा कर दी.
हमारा प्यार जैसा था..वैसा ही है
हमेशा रहेगा ,यकीन हो चला है.
अच्छा है न कि
मेरी खबर देने वाला
एक कोने से कटा पोस्टकार्ड
तुम तक पहुंचता
उससे पहले
यह मुझ तक पहुँच गयी .
Labels:
कागज़,
चिट्ठी,
नमाज़,
पोस्टकार्ड,
बेरंग,
शुक्राने .,
स्पर्श,
स्याही
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
खूबसूरत एहसास ..... कोने से काटा पोस्टकार्ड अच्छा बिम्ब दिया है ...
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteहार्दिक आभार!
Deleteअब सारे राज़ आपके पास...
ReplyDeleteधन्यवाद!!
Deleteलाजबाब,भावमय सुंदर अभिव्यक्ति,,,बधाई निधि जी,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
आभार!
Delete:-(
ReplyDeletetouched !!!
अनु
bahut hi sundar...
ReplyDeleteअच्छा है न कि
मेरी खबर देने वाला
एक कोने से कटा पोस्टकार्ड
तुम तक पहुंचता
उससे पहले
यह मुझ तक पहुँच गयी .
bahut kuch keh diya yahan aapne...behtareen
थैंक्स!!
Deleteकटे हुवे कोने वाली पोस्टकार्ड की बात क्यों प्यार की बातों में ...
ReplyDeleteगहरे एहसास लिए शब्दों से खेलती हैं आप ...
शुक्रिया!!
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteथैंक्स!!
Delete