ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, December 4, 2012
उदासी की रोटी
चलो मिल बैठेंगे
किसी रोज.....
बाँट लेंगे उदासी की यह रोटी
निगल लेंगे इसे
अश्क़ॉ के नमक के साथ.
बांटेंगे अपने ग़म
करेंगे थोड़ी हंसी ठिठोली
यूँ भी ...
कितना वक्त गुज़र गया
माहौल हल्का हुए
अचार के मस्त चटखारे का स्वाद
जुबां भूलने लगी है .
(प्रकाशित)
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:( कभी कभी तो रोटी भी मिलना मुश्किल होती है.. अचार और प्याज तो दूर की बात है।
ReplyDeleteह्म्म्म...उदासी की रोटी मिल जाती हैं..कभी किसी से मांग कर देखियेगा,उसकी उदासी
Delete:):) याद ताज़ा कीजिये अचार की ... उदासी की रोटियाँ तो मिल ही जाएंगी
ReplyDeleteजी...बिलकुल.जीवन में सकारात्मक होना बहुत ज़रूरी है.
Deleteबहुत खूबशूरत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
थैंक्स!!
Deleteपसंद करने के लिए,आभार.
ReplyDeleteसच है उदासी को मिल बाँट के बिताया जाय तो कम हो जाती है ...
ReplyDeleteशशक्त पंक्तियाँ ...
जी बिलकुल.बांटने से दुःख कम और खुशियां दुगनी हो जाती हैं
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