ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Saturday, December 15, 2012
साथ-साथ
प्यार करते हो तुम,मुझसे
तुमने अनगिन बार ये
दोहराया है .
मुझमें और तुममें कोई अंतर नहीं
बार-बार यह समझाया है.
पूर्णता के साथ भूलना कैसे संभव है ?
भूलने के लिए भी तो याद करना ज़रूरी है .
कहो,कैसे भूला जाए उस को
जिसने मुझे संपूर्ण किया .
अपूर्ण थी मैं ...
तुमसे मिलके पूर्ण हुई मैं ..
इसलिए ,
विस्मरण जैसा कुछ भी
प्रेम में संभव ही नहीं
तुम मेरा अस्तित्व
मैं तेरा वजूद
इसलिए ....अकेला बिखरता नहीं कोई
जब भी टूटेंगे ...बिखेरेंगे
हम साथ साथ होंगे .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteधन्यवाद!!
Deleteखूबसूरत सोच
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति ,,,, बधाई।
ReplyDeleterecent post हमको रखवालो ने लूटा
आभार!!
Deleteप्यार में टूटता-बिखरता सिर्फ एक है ...ऐसा मेरा मानना है :)
ReplyDeleteनहीं,हमेशा इअस नहीं होता.कुछ परिस्थितयों में दोनों ही टूटते बिखरते हैं..साथ-साथ
Deleteसुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!!
Deleteye khoobsurat sath bna rhe...
ReplyDeleteआमीन!!
Delete