ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, December 5, 2012
इंतज़ार में
अक्सर
अपने घर के अकेलेपन में
महसूस होते हो तुम .
मैंने देखे हैं तुम्हारे होंठों के निशाँ
अपनी चाय की प्याली पे .
गीला तौलिया बिस्तर पे पडा
मुझको चिढाता हुआ.
सुनाई देती हैं मुझे मेरी आवाज़
जब दिखती हैं ,तुम्हारी चप्पलें
सारे घर में मटरगश्ती करती हुई .
तुम्हारी महक से पता नहीं कैसे
महकती हूँ मैं ...दिन और रात
आजकल यूँ ही
मुस्कुराती हूँ मैं...बेमतलब ,बेबात
बताओगे...?
ऐसा ही होता है क्या
किसी के इंतज़ार में .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
<3
ReplyDeleteकोई क्या बताएगा जानेमन...अपने दिल से पूछो :-)
अनु
मेरे हिसाब से तो ऐसा ही होता है ...अनु.
Deleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteएहसास बहुत खूबसूरती से लिखे हैं ...
ReplyDeleteजी.....शुक्रिया!
Deleteबहुत खूबशूरत अहसास,,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
आभार!!
Deleteऐसा ही होता है यकीनन इतंजार में !
ReplyDeleteजी ...
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना
शुक्रिया............पसंद करने के लिए.
Delete