Tuesday, November 27, 2012

मेरा नाम





कागज़ में दर्ज हो जाना
कानूनन कुछ से कुछ हो जाना
इस बात की गारंटी नहीं देता
कि ,
मेरे मन में कौन रहेगा .

जो कागज़ पर दिखता है...
मेरा नाम...तुम्हारे साथ
वो,बस वहीं दर्ज रहता है .
क्यूंकि
मन में उतरने के लिए
किसी कागज़ की
किसी कानून की
किसी मोहर की
ज़रूरत नहीं होती .

10 comments:

  1. मन में उतरने के लिए
    किसी कागज़ की
    किसी कानून की
    किसी मोहर की
    ज़रूरत नहीं होती

    ....बिल्कुल सच.... भावों और शब्दों का बहुत सुन्दर संयोजन..

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    1. जी.....कैलाश जी,शुक्रिया!

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  2. बेहतरीन भावमय प्रस्तुति ,,,,बधाई निधि जी,,,

    resent post काव्यान्जलि ...: तड़प,,,

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  3. वाह .....

    दिल के रिश्ते से मजबूत और कोई डोर नहीं है

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  4. वाकई किसी कानून की जरूरत नहीं होती :)

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    Replies
    1. सहमति हेतु धन्यवाद!

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  5. रहूँ भले सब के लिए मैं बेनाम
    हो दिल में तेरे ,बस मेरा नाम !

    नाज़ुक एहसास !खुबसूरत !
    शुभकामनायें!

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  6. सत्य को इससे बेहतर कौन कह सकता था.. शुक्रिया साझा करने के लिए..

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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