ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Monday, November 5, 2012
मन अपने मन की करता है
मेरी बात कोई भी नहीं सुनता.
मेरा अपना मन तक नहीं...
जो भी बात तुमसे जुडी हो
उसमें तो यह मन ..
अपने मन की ही करता है .
तुम्हारे पिछले मैसेज को
आज दो साल पूरे होने को आये
आखिरी बार तुम्हारी आवाज़ सुने
गुज़र गए हैं तीन महीने तीन दिन .
मैसेज कोई भी भेजे ...
मेरा मन तुम्हारा नाम पढ़ना चाहता है .
हरेक कॉल पे एक नयी उम्मीद जगाता है
कि शायद तुम हो.
नज़रें ढूँढती हैं ..तुम्हारा नाम .
फोन का स्क्रीन भी इंतज़ार में है ...
कि कब तुम्हारा नाम फ्लैश हो
और साथ ही साथ मेरी स्माइल .
ऐसा कुछ नहीं होता
जीती रहती हूँ क्यूंकि जीना है
चाहें फिर वो मर-मर के ही हो .
समझा लेती हूँ खुद को.....
वैसे भी ,इतने बरस में
कुछ आया हो या न आया हो
खुद को समझाने में महारत आ गयी है.
तुम्हारा वो पुराना मैसेज फिर पढ़ लेती हूँ,
कॉल लॉग में जाकर तुम्हारे
तीन महीने तीन दिन पहले वाले नाम पे
उंगली फिराती हूँ ..
तुम्हें महसूस कर लेती हूँ.
मेरा यह स्पर्श तुम तक पहुंचता है क्या ????????????
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
wow ..:)
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteमैशज की बेकरारी तो हमेशा रहती है,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समय की पुकार है,
जी ,बिल्क्कुल.
Deleteमैसेज कोई भी भेजे ...
ReplyDeleteमेरा मन तुम्हारा नाम पढ़ना चाहता है .
हरेक कॉल पे एक नयी उम्मीद जगाता है
कि शायद तुम हो.
नज़रें ढूँढती हैं ..तुम्हारा नाम .
फोन का स्क्रीन भी इंतज़ार में है ...
कि कब तुम्हारा नाम फ्लैश हो
और साथ ही साथ मेरी स्माइल ... वाह
धन्यवाद.
Deleteस्पर्श पहुँचता तो होगा..... निर्मोही एक मैसेज भेज नहीं सकता....
ReplyDeleteप्रेमी अकसर दुष्ट होते हैं...
अनु
निर्मोही और दुष्ट...दोनों विशेषण अच्छे लगे
Deleteबहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ReplyDeleteशुक्रिया .
Deleteवाह .....बहुत खूब
ReplyDeleteथैंक्स...
Delete