ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, November 27, 2012
मेरा नाम
कागज़ में दर्ज हो जाना
कानूनन कुछ से कुछ हो जाना
इस बात की गारंटी नहीं देता
कि ,
मेरे मन में कौन रहेगा .
जो कागज़ पर दिखता है...
मेरा नाम...तुम्हारे साथ
वो,बस वहीं दर्ज रहता है .
क्यूंकि
मन में उतरने के लिए
किसी कागज़ की
किसी कानून की
किसी मोहर की
ज़रूरत नहीं होती .
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मन में उतरने के लिए
ReplyDeleteकिसी कागज़ की
किसी कानून की
किसी मोहर की
ज़रूरत नहीं होती
....बिल्कुल सच.... भावों और शब्दों का बहुत सुन्दर संयोजन..
जी.....कैलाश जी,शुक्रिया!
Deleteबेहतरीन भावमय प्रस्तुति ,,,,बधाई निधि जी,,,
ReplyDeleteresent post काव्यान्जलि ...: तड़प,,,
आभार!
Deleteवाह .....
ReplyDeleteदिल के रिश्ते से मजबूत और कोई डोर नहीं है
बिलकुल...
Deleteवाकई किसी कानून की जरूरत नहीं होती :)
ReplyDeleteसहमति हेतु धन्यवाद!
Deleteरहूँ भले सब के लिए मैं बेनाम
ReplyDeleteहो दिल में तेरे ,बस मेरा नाम !
नाज़ुक एहसास !खुबसूरत !
शुभकामनायें!
सत्य को इससे बेहतर कौन कह सकता था.. शुक्रिया साझा करने के लिए..
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