Thursday, October 4, 2012

क्या है प्रेम?




प्रेम जिस दिन समझ में आने लगेगा
तो उसमें कोई आनंद शेष नहीं रहेगा
उसकी रहस्यात्मकता ही है
जो आकर्षित करती है
अपनी ओर खींचती है .

रहने देते हैं न
खाली स्लेट जैसा इसे
जिस पर कोई इबारत नहीं.
जिसको जो समझना है
जैसा भी समझना है
जो पढ़ना है
जो बूझना है
अपनी मर्जी से कर ले
चाहें प्रेम में जी ले
चाहें प्रेम में मर ले

20 comments:

  1. सटीक .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  2. वाह..............
    सबकी अपनी परिभाषा....

    छा गए आप तो निधि...
    अनु

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  3. प्रेम करनेवाला अपनी अनुभूतियों को किसी कसौटी पर नहीं रखता

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  4. बिलकुल सच ...और गहन भी ...
    बहुत पसंद आयी आपकी रचना ...

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  5. प्रेम की परिभाषा आपसे बेहतर कौन जान सकता है..??

    सुन्दर अभिव्यक्ति..!!

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  6. बहुत सुंदर , सत्य वचन

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    1. सहमत होने के लिए,शुक्रिया!!

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  7. अच्छी रचना
    बहुत सुंदर


    मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html

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  8. संसार में अगर कोई गहन और गंभीर विषय है तो वह प्रेम ही है, संभवत: उसमे "मै" मै न बचता और "तू" तू न रहता है... । प्रेम अनुगृहित होता है देकर..तभी तो कहते है प्रेम का गणित कभी दो और दो पांच करता है और कभी दो और दो तीन बताता है । खैर! कविता की रचना तो समृद्ध जीवनानुभव से ही संभव है जो आपके उक्त छंद से जाहिर होता है । मंगल भविष्य की कामनाये...

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    1. प्रेम से गहन कोई भाव नहीं है .आपकी शुभकामनाओं हेतु...धन्यवाद .

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  9. प्यार का ये रहस्य यूँ ही बना रहे तो अच्छा है ........

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    1. बिलकुल...खूबसूरती इसमें ही है.

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  10. प्रेम जिस दिन समझ में आने लगेगा
    तो उसमें कोई आनंद शेष नहीं रहेगा...
    सच है यार ....वैसे मुझे इस मामले में नासमझ ही रहने दो ....क्यूंकि मुझे अपरिमित आनंद चाहिए :)

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    1. तुम अपरिमित आनंद भोगो....आमीन.

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