ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, October 4, 2012
क्या है प्रेम?
प्रेम जिस दिन समझ में आने लगेगा
तो उसमें कोई आनंद शेष नहीं रहेगा
उसकी रहस्यात्मकता ही है
जो आकर्षित करती है
अपनी ओर खींचती है .
रहने देते हैं न
खाली स्लेट जैसा इसे
जिस पर कोई इबारत नहीं.
जिसको जो समझना है
जैसा भी समझना है
जो पढ़ना है
जो बूझना है
अपनी मर्जी से कर ले
चाहें प्रेम में जी ले
चाहें प्रेम में मर ले
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सटीक .... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteवाह..............
ReplyDeleteसबकी अपनी परिभाषा....
छा गए आप तो निधि...
अनु
थैंक्स...अनु.
Deleteप्रेम करनेवाला अपनी अनुभूतियों को किसी कसौटी पर नहीं रखता
ReplyDeleteजी,बिलकुल.
Deleteबिलकुल सच ...और गहन भी ...
ReplyDeleteबहुत पसंद आयी आपकी रचना ...
धन्यवाद!!
Deleteप्रेम की परिभाषा आपसे बेहतर कौन जान सकता है..??
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति..!!
:-))
Deleteबहुत सुंदर , सत्य वचन
ReplyDeleteसहमत होने के लिए,शुक्रिया!!
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
थैंक्स!!
Deleteसंसार में अगर कोई गहन और गंभीर विषय है तो वह प्रेम ही है, संभवत: उसमे "मै" मै न बचता और "तू" तू न रहता है... । प्रेम अनुगृहित होता है देकर..तभी तो कहते है प्रेम का गणित कभी दो और दो पांच करता है और कभी दो और दो तीन बताता है । खैर! कविता की रचना तो समृद्ध जीवनानुभव से ही संभव है जो आपके उक्त छंद से जाहिर होता है । मंगल भविष्य की कामनाये...
ReplyDeleteप्रेम से गहन कोई भाव नहीं है .आपकी शुभकामनाओं हेतु...धन्यवाद .
Deleteप्यार का ये रहस्य यूँ ही बना रहे तो अच्छा है ........
ReplyDeleteबिलकुल...खूबसूरती इसमें ही है.
Deleteप्रेम जिस दिन समझ में आने लगेगा
ReplyDeleteतो उसमें कोई आनंद शेष नहीं रहेगा...
सच है यार ....वैसे मुझे इस मामले में नासमझ ही रहने दो ....क्यूंकि मुझे अपरिमित आनंद चाहिए :)
तुम अपरिमित आनंद भोगो....आमीन.
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