ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Monday, October 8, 2012
तोड़ दो...
भ्रम टूटने के लिए ही होते हैं....
जितनी जल्दी टूट जाएँ...
उतना अच्छा .
मोहब्बत की भी तकदीर कुछ ऎसी ही होती है
और हम खुद ज़िम्मेदार होते हैं ...इसके लिए.
क्यूँ जीते रहते हैं बीते हुए की यादों तले
क्यूँ नहीं बढ़ा पाते हम क़दम
जैसे अगले ने बढ़ा लिए.
भूल जाने के लिए भी पहल करनी पड़ती है
बस,वो पहला कदम उठाने भर की देर है ...
सब होगा ..क्यूँ नहीं होगा
अगला जी रहा है न हमारे बिना
हम क्यूँ नहीं जी पायेंगे उसके बिना
अंधेरों को गहराने न दो
आगे बढ़ो... भ्रम को तोड़ दो .
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पसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका.... बहुत गहरी सोंच है निधि जी
ReplyDeleteशुक्रिया ...संजय जी.
Deleteऐसे भ्रम का तोड़ना ही बेहतर ... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजी हाँ...थैंक्स!!
Deleteएक भ्रम तोड़ो...
ReplyDeleteदूसरा पैदा हो जायेगा
हाँ जी एक के बाद एक....भ्रम .
Deleteअंधेरों को गहराने न दो
ReplyDeleteआगे बढ़ो... भ्रम को तोड़ दो,...
ये भ्रम सिलसिला खत्म नही हो पाएगा,,,,
RECENT POST: तेरी फितरत के लोग, .
ह्म्म्म.
DeleteLAGTA H AAJ APNE VO BHRAM TOD DENE KI THAN LI H
ReplyDeleteISLIYE LIKH DIYA AUR ............KASHMKASH SE BAHAR NIKAL AYE HO. BAHUT KUCH BAYAN KARTI H APKE BARE M YE KAVITA
बस एक भाव है,दीप जी.मेरे निजी जीवन से इसका कोई लेना देना नहीं है .
Deleteप्यार एक भाव है ....और प्यार में भी सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति क्यों पैदा होती है ?
ReplyDeleteप्रेम को हम एक अलग ऊंची सी जगह बिठा देते हैं...रोजमर्रा की ज़िंदगी में से निकाल कर....शायद,इसीलिए भ्रम पैदा होते हैं .
DeleteBehad mushkil....
ReplyDeleteहम्म...है तो मुश्किल...या नामुमकिन कह लो.
Deleteपर कुछ भरम हमारी रूह के साथ चिपके होते हैं ...साँसों के साथ आते जाते हैं ....लहू की तरह रगों में दौड़ते हैं ....उनका क्या ?
ReplyDeleteउनका बोझ लिए ,जिए जाओ....
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