Monday, October 8, 2012

तोड़ दो...



भ्रम टूटने के लिए ही होते हैं....
जितनी जल्दी टूट जाएँ...
उतना अच्छा .
मोहब्बत की भी तकदीर कुछ ऎसी ही होती है
और हम खुद ज़िम्मेदार होते हैं ...इसके लिए.
क्यूँ जीते रहते हैं बीते हुए की यादों तले
क्यूँ नहीं बढ़ा पाते हम क़दम
जैसे अगले ने बढ़ा लिए.

भूल जाने के लिए भी पहल करनी पड़ती है
बस,वो पहला कदम उठाने भर की देर है ...
सब होगा ..क्यूँ नहीं होगा
अगला जी रहा है न हमारे बिना
हम क्यूँ नहीं जी पायेंगे उसके बिना
अंधेरों को गहराने न दो
आगे बढ़ो... भ्रम को तोड़ दो .

16 comments:

  1. पसंद आया यह अंदाज़ ए बयान आपका.... बहुत गहरी सोंच है निधि जी

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    1. शुक्रिया ...संजय जी.

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  2. ऐसे भ्रम का तोड़ना ही बेहतर ... सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. एक भ्रम तोड़ो...
    दूसरा पैदा हो जायेगा

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    1. हाँ जी एक के बाद एक....भ्रम .

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  4. अंधेरों को गहराने न दो
    आगे बढ़ो... भ्रम को तोड़ दो,...

    ये भ्रम सिलसिला खत्म नही हो पाएगा,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग, .

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  5. LAGTA H AAJ APNE VO BHRAM TOD DENE KI THAN LI H
    ISLIYE LIKH DIYA AUR ............KASHMKASH SE BAHAR NIKAL AYE HO. BAHUT KUCH BAYAN KARTI H APKE BARE M YE KAVITA

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    1. बस एक भाव है,दीप जी.मेरे निजी जीवन से इसका कोई लेना देना नहीं है .

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  6. प्यार एक भाव है ....और प्यार में भी सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति क्यों पैदा होती है ?

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    1. प्रेम को हम एक अलग ऊंची सी जगह बिठा देते हैं...रोजमर्रा की ज़िंदगी में से निकाल कर....शायद,इसीलिए भ्रम पैदा होते हैं .

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  7. Replies
    1. हम्म...है तो मुश्किल...या नामुमकिन कह लो.

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  8. पर कुछ भरम हमारी रूह के साथ चिपके होते हैं ...साँसों के साथ आते जाते हैं ....लहू की तरह रगों में दौड़ते हैं ....उनका क्या ?

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    1. उनका बोझ लिए ,जिए जाओ....

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सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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