Saturday, October 27, 2012

तुम शायद ही समझो




आँखों की लाली
कितने समंदर समेटे
होती है ..
कितने तूफ़ान छुपाये
होती है...
अपने भीतर .
यादों की धूल से धूसरित मन ही
यह जान सकता है
समझ सकता है

गला भर आता है जब कभी
वो अंदर आँखों के जब्त किये
कितने सैलाब समेटे होता है.
तुम शायद ही समझो
क्यूंकि ,तुमने हमेशा यही कहा
कि तुम्हें प्यार नहीं हुआ है,कभी.


18 comments:

  1. प्यार .... हो तो पूछना भी क्या , महसूस हो जाता है

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  2. प्यार के प्यार में भी दर्द है बहुत

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    1. खुशियां कम हैं गम ज्यादा हैं

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  3. थोड़ी सी पंक्तियों में बहुत बड़ी बात प्यार को महसूस ही किया जा सकता है प्यार करने में मज़ा तभी है सुन्दर रचना |

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  4. गला भर आता है जब कभी
    वो अंदर सैलाब समेटे होता है.
    तुम शायद ही समझो
    क्यूंकि ,तुमने हमेशा यही कहा
    कि तुम्हें प्यार नहीं हुआ है,कभी....सब कुछ कह गयी ये पंक्तिया....... बहुत ही खूबसूरती स वयक्त किया है मन के भावो को....

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    1. तहे दिल से शुक्रिया.

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  5. जिसे प्यार ही न हुआ हो, वो क्या जाने ये प्यार क्या होता है....
    बहुत खूबसूरत रचना

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    1. वो समझ ही नहीं सकता ..कुछ भावों को

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  6. होते होते हो जाएगा.... वो दिन भी आएगा..... सुंदर भाव गागर मे सागर जैसे

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  7. बहुत प्यारी भावमयी रचना...

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    1. हार्दिक धन्यवाद

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  8. जो ये कहता है न कि प्यार नहीं हुआ उसे कभी ...यकीन रखना झूठ कहता है वो ...सच ये है कि वो खुद से ज़्यादा किसी से कभी प्यार नहीं कर पाया .....
    जब हम प्रेम में होते हैं तो खुद से भी ज्यादा दूसरे को प्रेम करते है ...और फिर एहसास करते हैं प्रेम की शक्ति और सुन्दरता का ....गले में आंसुओं का अटकना जब दूसरों के दुःख सुख के लिए हो तो ही महसूस हो पाता है

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    1. हम्म...सहमत हूँ तूलिका.कुछ लोग अपने से ज्यादा किसी को प्यार नहीं कर पाते.तरस आता है...उनपर .

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