
आगाज़ और अंजाम के बीच
कितनी जगह तुम ठहरे
कितने और प्रेम हुए तुम्हें गहरे
उसका हिसाब कौन देगा ?
मैं पहला...आखिरी प्रेम हूँ
इस बात से खुश हो लूँ
या
बीच के तुम्हारे उन प्यार को सोच
आज मैं रो लूँ....
तुम ही कह दो क्या करूं.....
ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा