पानी ही जीवन है
सब जानते हैं
सब मानते हैं.
पर,जब वही पानी
बहता है मद्धम-मद्धम
तुम्हारी आँखें करके नम
तब,
पता नहीं क्यूँ ...??कैसे??
भीग जाता है मेरा भी मन .
अजीब सी उलझन होती है
गला रुंध जाता है.
उस वक्त ....
यह पानी ,
जीवन का पर्याय नहीं लगता
पानी का यह रूप ...
बिलकुल भी
अच्छा नहीं लगता .
पर इसका बहना भी ज़रूरी है, वरना मन की नदी जम जाएगी
ReplyDeleteखुबसूरत प्रस्तुती....
ReplyDeleteहर आंसू कुछ कहता है....
ReplyDeleteरश्मि प्रभा जी...आपका कहना बिलकुल ठीक है कि बहना ज़रूरी हैं वरना यह जम जायेंगे...पर जिसे आप चाहते हैं वो जब आंसू बहाए ...तो ,बिलकुल अच्छा नहीं लगता .
ReplyDeleteसुषमा जी....शुक्रिया !!
ReplyDeleteकुमार...सही कहा...हरेक आंसू कुछ कहता है...बस,पढ़ने...समझने के लिए नज़र होनी चाहिए .
ReplyDeleteबहुत अलग हटकर लगी आपकी यह कविता।
ReplyDeleteसादर
पानी कब रोके रुका है।
ReplyDeleteयशवंत ......थैंक्स !!
ReplyDeleteवंदना ....रोके नहीं रुकता ....पर बहुत खराब लगता है जब वो किसी अपने की आँख से बहता है.
ReplyDeleteबिल्कुल सच
ReplyDeleteसुंदर भाव
बधाई
महेंद्र जी...सच भी है और सुन्दर भी लगा ,आपको.अच्छा लगा यह जान कर क्यूंकि ऐसा बहुत कम होता है कि सच हो और साथ में सुन्दर भी हो.शुक्रिया!!
ReplyDeletenidhi ji pahli baar aapke blog pe aana hua..behad acchi aur dil ko choo lene wali prastuti ke liye hriday se abhar aur mere blog pe aakar mujhe protsahit karne ke liye haridk dhanyawad..pranam ke sath
ReplyDeleteआशुतोष जी...स्वागतम !!मुझे अच्छा लगा यह जान कर कि ब्लॉग पे आकर आप निराश नहीं हुए.
ReplyDeletePaaaniii........kabhii yeh Saagar se Uth-taa haiii.....kabhii JHARNO meinn MachaLtaa haiii....kabhiii yeh Nazronn se behtaa haiii......kabhiii PALKONN se Yeh Dhehtaa haiii...........haannn Jaroorii nahiinn kiii GUMM meinn hii nikley Aansoo....Muskuraatii Aankhonn meinn bhii SAILAAB bantaa haiiiii........Tumaahrii Aankh kaa PAANI........ohhh Nidhi.......simply superb
ReplyDeleteनिधि जी, बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में एक भावुक से विषय पर एक रचना लिख डाली आपने, बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteवैसे मैं तो यही कहूँगा...
बहे जब तलक पानी तो कोई गम नहीं,
पानी का अश्कों में बदलना, सहा नहीं जाता...
बहुत खूबसूरत भावुक अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
ReplyDeleteकल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
.. एक बार फिर आपने शब्दों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है.. निधि. आपकी रचनाओं में एक अलग तासीर है......
ReplyDeleteजल जाएगा सबकुछ इस ज़लज़ले में
जल आँखों से यूं न बहाइए आप
अंकुर....शुक्रिया...इतने अच्छे लफ़्ज़ों से हौसला अफजाई करने के लिए..
ReplyDeleteविनयजी..आपने बिलकुल सही कहा...किसी अपने की आँखों से आंसू बहते देखना बहुत कष्टकारी होता है.
ReplyDeleteअमित.......मेरी यह अलग सी तासीर आपको रास आई....धन्यवाद!!
ReplyDeleteसंजय जी...आपको भी शुभकामनायें...बड़ी देर बाद आपका कमेन्ट आया...अबकी बार.
ReplyDeleteवाह !!सुन्दर शब्दों के साथ अश्रु का विवेचन किया है आपने !
ReplyDeleteसच कमाल कि चीज बनाई है ईश्वर ने ..
जो दुःख और सुख दोनों कि अधिकता में बह निकलता है
मानों भीतर का dard pighaL KAR BAHAR AA RAHA HO
..bahut सुन्दर rachna Nidhi ji ...
शुक्रिया...सरोज जी.आपने बिलकुल दुरुस्त फ़रमाया ...सुख दुःख दोनों के साथी हैं ये आंसू..
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!!
ReplyDeleteथैंक्स...............उड़न तश्तरी जी
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति..!!
ReplyDeleteतुम्हें अच्छा लगा पढ़ कर...प्रियंका ,यह काफी है मेरे लिए
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