Wednesday, August 24, 2011

तुम्हारी आँखें कुछ कहती हैं.....


तुम्हारी आँखें कुछ कहती हैं,मुझसे
पर,
कुछ और बयां करते हो तुम जुबां से .
बताओ,मैं किसे सच मानूँ ???
तुम्हारी नज़रों को पढ़ना अच्छा लगता है
क्यूंकि वो बयान ज्यादा सच्चा लगता है .
जुबां से तुम जब भी बोलते हो
कुछ कहने से पहले ..
ज़माने के डर से उसे तोलते हो.
जुबां में झूठ की परछाईं नज़र आती है .
जबकि ,आँखों की बात सीधे
दिल में उतर जाती है मेरे .
इसलिए
मेरे से जब कुछ कहना हो तुम्हें
तो,जुबां को आराम दे दो मेरे लिए
और बात करो मुझसे अपने नयन से
दिल की बात कहने पे भी न डरो किसी से .
नज़रों को नज़रों से बातें करने दो
खामोशी की आवाज़ को सुनने दो .
ये माना कि प्यार के रिश्ते बहुत गहरे हैं
पर जुबां पर आज भी ज़माने के पहरे हैं
इसलिए
चुप रह कर भी आँखों को आवाज़ दे दो
अपने ख्यालों को एक नयी परवाज़ दे दो .

36 comments:

  1. आदरणीय निधि जी
    नमस्कार !
    रूमानी भावों की लाजवाब प्रस्तुति
    आपकी कविताएं भाव और भाषा दोनों दृष्टियों से प्रभावित करती हैं

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  2. आँखों की सच्चाई को
    बहुत सुन्दर तरीके से व्यक्त किया है। बधाई

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  3. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  4. ्वाह बहुत ही मनमोहक अन्दाज़ है…………सुन्दर भावप्रवण रचना।

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  5. शायद आँखें कभी झूठ नहीं बोलती....

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  6. संजय जी...आपको रचना पसंद आई,जान कर अच्छा लगा .आपका शुक्रिया !!

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  7. कैलाश जी...धन्यवाद

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  8. वन्दना...हार्दिक आभार .

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  9. कुमार...मुझे तो यही लगता है कि आँखें झूठ नहीं बोलती .

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  10. उड़न तश्तरी जी...तहे दिल से शुक्रिया!!

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  11. प्रियंका...थैंक्स,डीयर .

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  12. आँखों और मन की भाषा एक ही हो जाये तो कहना क्या !
    मोहक अभिव्यक्ति !

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  13. वानी गीत जी ....सच्ची...अगर ,आंखें और मन दोनों ही एक ही बात बोलें तो उससे बेहतर कुछ नहीं ..धन्यवाद ,पसंद करने हेतु .

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  14. ये कविता पढ़ के एक फिल्म का गीत याद आ गया
    (नैनो कि मत सुनियों रे
    नैना ठग लेंगे )

    निधि जी ...पूरी कविता ही बेहद खूबसूरत है ......आभार

    anu

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  15. आँखों और ज़बान के बयान के फर्क को
    बहुत खूब समझा रही है आपकी ये कविता
    वाह !!

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  16. अनु......हार्दिक धन्यवाद .मुझे यह गीत बहुत पसंद है...आपने अच्छा याद दिलाया , अभी सुनती हूँ जा कर.

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  17. अपने ख्यालो को नयी परवाज़ दे दो. क्या बात है.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  18. दानिश...हाँ कोशिश की थी कि आँखों की भाषा और जुबां की सम्प्रेषण शक्ति के अंतर को समझा सकूं .

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  19. स्वतंत्र नागरिक जी...शुक्रिया!!आपके लेख पढ़ने ,अवश्य आऊंगी .

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  20. अंकित जी...शुक्रिया!!पोस्ट को पढ़ने एवं पसंद करने के लिए .

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  21. बिन बोले ही बहुत कुछ कह जाती हैं आँखें ...
    बहत लाजवाब भावपूर्ण ...

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  22. Nidhi ... kamaal ka lekha hai ...

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  23. दिगंबर जी....यूँ ही साथ बने रहने के लिए आभार .

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  24. ब्रजेश ....आपसे क्या कहूँ....शुक्रिया देते भी नहीं बनता है लगता है कि जब आपके विचारों को ही कलमबद्ध कर रही हूँ तो आपसे क्या कहूँ?आप हमेशा यही कहते हैं न कि मैं भी यही सोच रहा था...शब्द तुमने दे दिए .

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  25. कल 31/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  26. जुबां से जब बोलते हो ... दुनिया के डर से कितनी बार तोलते हो ...

    आखें सच्चाई बताती हैं ..सुन्दर रचना

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  27. निधि जी आपने बिलकुल सच कहा जो बातें आँखे कह देती हैं वो जुबान बयान नहीं कर पाती /क्योंकि आँखे दिल की भाषा बोलती है जिसमे कोई छल- कपट नहीं होता /शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बधाई /


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  28. यशवंत...बहुत बहुत आभार

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  29. संगीता जी...हार्दिक धन्यवाद !!रचना पढने एवं पसंद करने के लिए

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  30. प्रेरणा...तहे दिल से शुक्रिया...मैं ज़रूर आऊंगी तुम्हारे ब्लॉग पर...जल्द ही

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  31. चाहती तो हूँ उसे दिल मैं बसा लूँ |
    पर क्या करूँ आँखे सब राज़ खोल देती हैं |
    बहुत खुबसुरत रचना |

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  32. .. बहुत उम्दा रचना है.. निधि....

    सी लिए थे लब हमने उनके रूबरू मगर
    निगाहों ने बढ़कर 'इज़हार-ए-तमन्ना' कर दिया

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  33. मीनाक्षी जी ...शुक्रिया !!ब्लॉग पर आप आयीं...रचना पढी एवं अपनी प्रतिक्रिया दी .

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  34. अमित...सुन्दर शेर...हाँ कई बार होता हैं यूँ की जो हम कह नहीं पाते...वो आँखें बोल देती हैं .

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