Wednesday, August 3, 2011

बौराये से ..

तुम आये जीवन में
और..................
बदल गया है
मेरे दिल का मौसम
सावन ही सावन है ...आजकल ,यहाँ

अलसाई सुबहें..
मदहोश रातें हैं .
नशीले बातें....
प्यार की बरसातें हैं .
थिरकती हवाएं ....
गुनगुनाती फिजाएं हैं.
टूटती बंदिशें...
गाती हुई धडकनें हैं.
बहकती सांसें है
सुरमयी से लम्हें हैं .
यह सब मेरे अपने हैं
और
इनके साथ हैं
बौराये से
मैं और तुम ..................

सच,कहना...
लगता है न
कि जब से हम मिले हैं
सावन है...
नेह की घटायें हैं
जिनसे इश्क बरसता है
नशे के साथ मिला हुआ

भीगे से...बहके से...दहके से "हम"

43 comments:

  1. बहुत ही सुंदर रचना...

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  2. आदरणीय निधि जी
    नमस्कार !
    कोमल अहसासों से भरी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ........शुभकामनायें !

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  3. सुषमा जी ...धन्यवाद!!'

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  4. संजय जी...शुक्रिया.रचना को पसंद करने के लिए ...रचना किसी पाठक के दिल को छू जाए ...तो वो रचना ...अपने आप में सफल है ..

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  5. dil me sawan kee fuharen ... kya mast mausam hai !

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  6. वाह!क्या बात है!


    सादर

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  7. एक बार फिर बहुत सुंदर रचना
    शुभकामनाएं

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  8. निधि जी बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत की hai आपने .बधाई

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  9. Yeh kyaa qayaamat kaa Jikr kerr diiyaa ham-dam
    abbb to haathonn meinn sihran haiii...Lad-kharaahat haii Zubaan pe
    Saansonn mein hai mehakti khushboo..Barasta ITR haii Fizaaonn pe
    Bouraaye sirf Mainn aur tumm nahiinn...Behak gayii haii Nasheelii Raatenn...................​....Dehak gayenn haiinn Din key Uzaaley
    haann...yeh Mohabbat kaa Tassauver haiii...Tassauver haiii...Tassauver haiiii.............ohhh Nidhi...subhaan-ALLaahh

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  10. रश्मि प्रभा जी ...दिल में फुहारों का मौसम वाकई...मस्त होता है...आभार!!

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  11. यशवंत....थैंक्स!!

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  12. महेंद्र जी.....हार्दिक धन्यवाद!!

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  13. शिखा जी...आपको रचना पसंद आई...जान कर अच्छा लगा.शुक्रिया

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  14. अंकुर...थैंक्स!!आपने भी मेरी बात को अपने ढंग से खूब कहा है.

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  15. प्रेम से सराबोर.....

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  16. ... बहुत खूबसूरत रचना है 'निधि' .... आपकी रचनाये हरदम नवीनता और सकारात्मकता प्रस्तुत करती है.. इस रचना में 'श्रृंगार रस' के 'संयोग भाव' का सुंदर मिश्रण व वर्णन है... आपको इस सुंदर रचना के लिए बधाई..
    .
    देना खुशियाँ भी 'दर्द-ओ-गम' की तरह
    ना बदलना अब तुम मौसम की तरह

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  17. सावन का असर है।

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  18. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है निधि जी......!!!और क्या कहूँ आपसे?????

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  19. बहुत खूबसूरत एहसास ... ऐसा बौराना भी अच्छा है

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  20. कुमार...शुक्रिया...यूँ ही साथ बने रहिएगा

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  21. वंदना...सच कहा...निस्संदेह ..सावन का ही असर है.

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  22. संगीता जी....आपका आभार!!

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  23. शंकर जी...आपको रचना पसंद आई...शुक्रिया,कि आपने पढ़ने और टिप्पणी करने के लिए वक्त निकाला

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  24. अमित...मौसम की तरह जो बदल जाए...उनसे रिश्तें जुड़ते ज़रूर है पर चंद महीनों के लिए ही रहते हैं...ऐसे रिश्ते कभी टिकते नहीं ...
    सावन की बात हो और प्यार की बात ना हो तो सावन रीता सा लगता है...आपको संयोग श्रृंगार की यह रचना पसंद आयी ...शुक्रिया

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  25. वाह जी वाह !!! आपकी पोस्ट देख कर तो दिल्ली में भी आज सावन का असर दिख रहा है घटायें घनघोर हो चली हैं
    आभार

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  26. बारिश का जिक्र... एक ठंडी आह भरते हुए आँगन की तरफ देखा तो बारिश अभी भी वो रही थी...

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  27. वाह ...बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

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  28. बौराये से
    मैं और तुम :) :):)

    बारिश जो न कर दे :P

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  29. बहुत खूब ......बहुत ही सुन्दर रचना .यही तो सावन का असर है

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  30. Pyar me bhiga khubsurat ahsas...!
    bas dil wah - wah kar raha hai.

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  31. रचना ...बादल मेरे दोस्त हैं,प्यार के भूखे हैं ..प्यार से कहीं भी भेज देती हूँ...चले जाते हैं...आपने भी प्यार से बुलाया था...मैंने कहा दिल्ली चले जाओ ...चले गए...हैप्पी मानसून

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  32. शेखरजी....बारिश की यही खूबी है ...न जाने क्या-क्या ले आती है...अपने साथ.

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  33. सदा...पसंद करने..सराहने के लिए थैंक्स .

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  34. अभी....बारिश जो ना कर दे वो कम है...क्यूँ ,हैं न ?

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  35. रेखा जी...हाँ पक्का यह तो सावन का ही असर है .

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  36. रवि जी...शुक्रिया...आपको पढ़ कर अच्छा लगा...यह जान कर मुझे अच्छा लगा .

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  37. अनामिका जी...आमीन....काश ...सच...यूँ ही प्रेम रस में डूब कर बौराये रहे...हमेशा!!आपकी दुआ कुबूल हो!!

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  38. बहुत ही प्यारी सी अपनी सी कविता ... बहुत कुछ कहती हुई .. मन को छूती हुई ..

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  39. शुक्रिया....विजय जी.मैं अवश्य आपके ब्लॉग पर आकर आपकी रचना पढूंगी .

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  40. badi hi sanjidagi se kiya gay premi mano ke milne per utpann bhabnaon ka chitran..shubhkamnaon ke sath

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  41. शुक्रिया...आशुतोष जी...!!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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