Tuesday, January 25, 2011

साझा

साझा
तुम्हारे पास , 
मेरे लिए वक़्त . ......
कभी नहीं रहा
न पहले कभी ,न आज
और कल भी शायद ही हो .
तुम्हारी ज़िन्दगी में ,
मेरा -तुम्हारा साझा कुछ नहीं रहा
समय तक नहीं .................
काश ,
तुम मुझे अपना कुछ वक़्त  देते
तो अलगाव का ये दर्द
हम यूँ न भोग रहे होते................



6 comments:

  1. एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
    यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!

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  2. संजय जी...आपकी नवाजिश है .

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  3. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  4. शुक्रिया.......सदा !!

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  5. कर ही लेना चाहिए साझा सब कुछ..!!

    सुंदर..!!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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