Monday, January 24, 2011

शर्तों पर प्यार ...........

शर्तों पर प्यार ...........
असंभव है ,यार!
शर्तों पर प्यार ...........
असंभव है ,यार!
क्यूकि,
शर्तों पे रिश्ता
 निभ नहीं सकता .
भला , कैसे यह संभव है .........
कि,
तुम मुझे यह  दो तो मैं वह दूंगा ,
या तुम यह करो तो मैं वह कर लूँगा.
सम्बन्ध :
जुड़ते हैं वहीँ
निभते चले जाते हैं खुद ही
जहाँ प्राथमिकता होती है
जोड़ने वाले;
समर्पण, प्यार,मनुहार की.
रिश्ते,
बिखरते हैं वहीँ
टूटते जाते हैं स्वयं ही
जहाँ प्राथमिकता होती है
तोड़ने वाले;
शर्तों  के व्यवहार  की .
इसलिए ये तय है
की
शर्तों पर प्यार नहीं होता
शर्तों पर बस व्यापार होता है .

16 comments:

  1. सम्बन्ध जुड़ते हैं वहीं....
    प्यार और समर्पण को प्राथमिकता देती आपकी यह रचना अच्छी लगी

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  2. वंदना जी...धन्यवाद...रचना को पढ़ने एवं सराहने के लिए

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  3. शर्तों पर प्यार असंभव है.
    बहुत अच्छा लिखा है आपने.

    सादर

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  4. बिल्कुल सही कहा है ..जहाँ शर्तें होती हैं वहाँ प्यार कहाँ ...

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  5. बिलकुल सच.शर्तों पर प्यार तो क्या,कोई भी रिश्ता नहीं निभ सकता.
    सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  6. शर्तों पर भी कभी प्यार होता है...
    बहुत अच्छा लिखा है...

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  7. kash ye baat sab samajh jaye to darare khaiyon me nirmit na ho. bahut sunder.

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  8. यशवंत जी...शुक्रिया!!

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  9. संगीता जी...सच...जहां शर्ते होंगी वहाँ प्यार अपने आप ही दम तोड़ देगा ..

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  10. शिखा....वाकई...शर्तों पे आधारित किसी भी रिश्ते में प्यार की कोई गुंजाइश ही नहीं होती

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  11. वीणा जी...धन्यवाद!!

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  12. अनामिका जी...काश ऐसा हो जाए ना....तो,कितना अच्छा हो .

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  13. बहुत सही लिखा है आपने.. शर्तों पर प्यार नहीं व्यापार होता है..

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    1. सहमति हेतु...शुक्रिया!!

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  14. Replies
    1. थैंक्स..ख्याल को पसंद करने के लिए.

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