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आजकल सब अधूरा सा क्यूँ है ?
दिल दर्द से भरा पूरा सा क्यूँ है
बड़ी अजीब से हैं दिन और रात
अनमने से सारे जज़्बात
क्यूँ किसी काम में मन नहीं लगता
क्यूँ यह जीना जीने सा नहीं लगता .
तेरे बिन.
सोचती रहती हूँ कारण....
शायद,
तुझसे बात नहीं होती
मुलाक़ात नहीं होती
इसलिए जी बेज़ार है .
मान ही लूँ कि अधूरी हूँ
तेरे बिन.
बस ख़्याल पूरे हैं
बाक़ी सब अधूरा
मेरा दिल ...मेरी धडकन
मेरा जी ......मेरी जान
सब कुछ अपाहिज सा
तेरे बिन .
ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
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वाह !!! बहुत बढ़िया,उम्दा अभिव्यक्ति,आभार
ReplyDeleteRecent Post : अमन के लिए.
आभार !
Deleteतुम्हारी मर्जी बिना वक्त भी अपाहिज है,न दिन खिसकता है आगे,न आगे रात चले....
ReplyDeleteबहुत प्यारी अभियक्ति है निधि....
अनु
थैंक्स...!!
Deleteबेहतरीन सार्थक अभिव्यक्ति,आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteआपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [15.4.2013]के चर्चामंच1215 पर लिंक क़ी गई है,
ReplyDeleteअपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है | सूचनार्थ..
शुक्रिया...मेरी रचना को शामिल करने के लिए
Deleteबस ख़्याल पूरे हैं
ReplyDeleteबाक़ी सब अधूरा
सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर
थैंक्स !!
हार्दिक आभार!
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