ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, April 25, 2013
कह देना
प्लीज़ ...यार, मेरी एक बात सुनो
तुम जो चाहें सोचो
या जो मन में आये करो
पर,मेरे पास रहो .
इतना पास...
कि जब मन करे
तो तुम्हें छू सकूँ
बांहों में भर सकूँ
जी भर के चूम सकूँ .
अच्छा ,एक बात बताओ
तुम्हें ऐसा कभी नहीं लगता ,क्या ?
कभी मन नहीं करता
कि नज़दीक रहो .
पता है ,लगता भी होगा न
तो तुम कहोगे नहीं.
यूँ भी ...जतलाना
तुम्हारी फितरत कहाँ ?
सब जानने के बाद भी
मैं कहूँगी यही
कि कह देना ..
रिश्ते की सेहत के लिए अच्छा होता है
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मुझे भी ऐसा ही लगता है, दिल से निकली बात है..
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteवैसे रिश्ते की सेहत के लिए सच ही थोड़ी दूरी अच्छी होती है ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteदूरी हो पर कम्यूनिकेशन गैप न हो
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या बात
आभार..महेंद्र जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (27 -4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
धन्यवाद........वन्दना ,मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deletehummm! SUNDER BHAV..!
ReplyDeleteशुक्रिया!
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