ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Friday, April 19, 2013
सप्पोर्ट सिस्टम
थक गयी हूँ
फासला तय करते -करते
जो आ गया हमारे बीच
एक फैसला करते करते .
ज़िंदगी....इतनी दुश्वार तो कभी न थी
जितना अब हो चली है
बड़े दिनों से
अपनी नज़रों से नज़रें भी मिलती नहीं .
तुम थे तो सब था
अब तेरे बिन कुछ भी नहीं
मेरा अपना वजूद ही नहीं
मेरा आप मुझसे सवाल करता है
एक नहीं कई बार करता है
कहाँ गया,क्यूँ गया वो ...
जो था मेरा ...सप्पोर्ट सिस्टम .
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बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteनिधि जी,,बहुत दिनों से नेरे पोस्ट पर नही आई,,आइये स्वागत है,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
अनुत्तरित रहने की स्थिति बहुत कठिन गुज़रती है.
ReplyDeleteमार्मिक ...
ReplyDeleteसुन्दर कहा है !!!
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeletelatest post तुम अनन्त
बहुत खूब ...
ReplyDeleteमन को छूती पोस्ट ....
ReplyDeleteआभार
सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।
ReplyDeleteमन को कहीं हल्के से छू गयी .....
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