Tuesday, May 24, 2011

किस को सच मानूं

दुनिया को बहलाना ,चलाना
कोई तुमसे सीखे
तुम प्यार करते हो......मुझसे
ये अकेले में कहते हो
सबके सामने स्वीकारने  में डरते हो ,शायद.
बल्कि ,औरों के आगे तो ..........
तुम ,मुझे शर्मिंदा करने में भी नहीं झिझकते
बस यह साबित करने के लिए कि...............
मेरे तुम्हारे बीच प्यार तो क्या
प्यार जैसा भी कुछ नहीं  है .
पर,प्यार ऐसे होता है क्या????
कितना कुछ मेरे अंदर मरता है
तुम, सब को ....
जब मेरी भावनाओं का माखौल उड़ाते हुए
जतलाते हो कि
मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम बस मेरा दिल रख रहे हो
तुम्हारी ओर से मेरे लिए कुछ भी नहीं है......
इससे .. मैं क्या समझूं
किस को सच मानूं.....................

कभी मानोगे या स्वीकारोगे भी...........
कि मैं तुम्हें पसंद हूँ..........
या ,वो दिन कभी आएगा ही नहीं
कभी-कभी मुझे लगता है
कि तुम दुनिया से सच बोल रहे हो
और मुझे ही भरमा रहे हो........
अच्छा ,चलो
अकेले में ही सही
इस सच से भी कभी पर्दा उठा दो
कि क्या मायने हैं मेरे
तुम्हारी जिंदगी में .

31 comments:

  1. आदरणीय निधि जी..
    नमस्कार !
    एक सच कहा आपने इस कविता में.
    कितनी गहन सच्चाई है इस कविता में

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  2. पूरी कविता ही बड़ी सशक्त है...
    आपके लेखन की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है....

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  3. प्रभाबशाली रचना
    आपने नारी मन की भावनाओं को बहुत असरदार शब्दों में प्रस्तुत किया है.

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  4. jab kabhi yah parda uthe ... yakeenan mujhe neend aa jayegi

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  5. कटु सच्चाई को बेहद संजीदगी से उतारा है।

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  6. मन के भावों को ज्यों का त्यों लिख दिया है ... बहुत संवेदनशील प्रश्न करती रचना

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  7. संजय जी...........आपकी प्रतिक्रया पढ़ कर सदैव ही उत्साहवर्धन होता है.........आप निरंतर मेरे ब्लॉग से यूँ ही जुड़े रहे.....ऐसी मेरी इच्छा है .........
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया...........!!!!

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  8. रश्मिप्रभा जी.......धन्यवाद!!!

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  9. वन्दना जी......ये कड़वा सच हम में से बहुतों के जीवन को प्रभावित करता है ....हम खुद नहीं जानते कि किसी की जिंदगी में हमारा महत्त्व क्या है......रचना,आपको पसंद आई.....मेरा सौभाग्य !!

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  10. संगीता जी...............मेरी रचना के संवेदना तंतुओं ने आपकी संवेदना को भी छुआ .............बस ये काफी है मेरे लिए.........

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  11. सुंदर भाव, रोचक प्रस्तुति। बहुत सुंदर

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  12. महेंद्र जी.............तहे दिल से शुक्रिया............

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  13. sunder,bhawbhini .......bahut achchi lagi.

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  14. मृदुला जी...........आपका आभार.........आने के लिए,पढ़ने के लिए साथ ही साथ सकारात्मक टिपण्णी से मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए .

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  15. kya mayene hai mera tumhaari zindagi mein???.......ek dil ko cheer dene waala sawaal jo aksar uthata wego ki tarah...........aur sabb bahaa le jaata hai..............aisa laga jaise tumne meri katha sunai ho.............main nishabd hoon............:))))<3

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  16. निधि जी मैं आपकी रचना के सार "प्यार सिर्फ करने से ही सब कुछ नहीं हो जाता, समय आने पर उसको जताना / स्वीकारना भी चाहिए" से पूर्णतया सहमत हूँ...

    हमेशा से शब्दों पर आपकी मजबूत पकड़ देखने को मिलती है, वो इस रचना में भी है, आपको बधाई...

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  17. beautiful post !!
    a child like curiosity.

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  18. अपनी इस बेहतरीन रचना से अपने पाठको नवाजने के लिए आपको बहुत शुक्रिया .... आपके प्रशंसक आपकी हर पोस्ट का इंतज़ार बेसब्री से करते है..... जिंदगी से बेहद करीब लगने वाली सशक्त रचनाओं के लिए आपको साधुवाद... आपकी कलम को बेहद बेबाकी और सादगी से मानवीय भावनाओ को मुखरित करती है .... ईश्वर आको और बुलंदियों से नवाजे ऎसी हम सब की कामना है....
    ......

    बाद उसके न तुम कुछ कहना
    एक बार जब तुम सच कहना

    खामोशियाँ यूं तो सब बयाँ कर गई
    पर अच्छा नहीं लगा तेरा चुप रहना

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  19. डिम्पल ...............धन्यवाद!आपकी कथा व्यथा तक मैं पहुँच पायी उस को अपने लफ़्ज़ों में समेट पायी हूँ तो ये मुझे किसी उपलब्धि से कम नहीं लगता

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  20. विनय जी........आपने बिलकुल ठीक कहा कि प्यार को बताना भी पड़ता है..कहना भी पड़ता है...जतलाना भी पड़ता है.......शुक्रिया रचना को पसंद करने के लिए.......

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  21. ज्योति जी ..............बहुत आभार कि आपने रचना को पसंद किया ......हाँ ,मैं यही चाहती हूँ कि बच्चों वाला ये बचपना मुझमें बुदापे तक बना रहे............

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  22. अमित.....आपसा मसरूफ शख्स जब मेरे ब्लॉग पर आकार,वक्त निकाल कर कमेन्ट करता है तो अच्छा लगता है......कुछ ज्यादा ही तारीफ कर दी है ,आपने.........
    आपके शेर मेरी पोस्ट को जैसे चार चाँद लगा देते हैं......शुक्रिया !

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  23. कयूं मैं तुमसे पूछूं ……?

    क्या मायने है मेरे तुम्हारी जिंदगी में …



    बस अब नहीं तुमसे पूछूंगी ……?

    कभी मानोगे भी क्या मैं तुम्हे पसंद हूँ …

    बस अब और नहीं …

    अपने सिवा बताओ कभी कुछ मिला भी है तुम्हें ?
    हज़ार बार ली हैं तुमने, मेरे दिल की तलाशियां

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  24. निधि आपकी रचना में हर उस नारी की वेदना है सारी उम्र अपने जीवनसाथी की उल्हेना से ग्रसित रहती है, अति उत्तम

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  25. कि तुम दुनिया से सच बोल रहे हो
    और मुझे ही भरमा रहे हो........
    अच्छा ,चलो
    अकेले में ही सही
    इस सच से भी कभी पर्दा उठा दो
    कि क्या मायने हैं मेरे
    तुम्हारी जिंदगी में .

    madam bahut achha likha hai....

    is vishay par ek baar socha tha kuchh likha bhi, haalaaki blog par post nahi kiya....

    prashn ye hai ki
    "agar pyar hai to kya se jataana bahut jari hai,
    kya bhaawnayen aur vibrations kaafi nahi ise samajhne ke liye?????"

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  26. wah! nidhiji wah solah aane sach baat kahi aapne.bahut sunder tareeke se aapne is vishay par apne vichar rakhe.bahut zaroori hai rishton me apne emotions ki abhivyakti.dhanyawad aapki ye kavita padh kar vo log jo apne aap ko abhivyakt nahi karte ya hesitate karte hai shayad express karne lage.halaki shuruat me ye kafi mushkil hota but dheere dheere adat me aa jaiga.hum bhi kuchh aise hi the aur khud ko bahut change kiya hai ,dhanyawad aise topic par likhne ka.

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  27. किरण दीप.................आपने मेरे विचारों को जो अपनी तरह पेश किया वो लाजवाब है.......अब कोई क्यूँ ना आपके कमेंट्स का इन्तेज़ार करे.......वो होते ही हैं इतने खूबसूरत.........साथ ही साथ आप उस औरत की वेदना तक पहुंची,मेरी इस रचना के माध्यम से ये जानकार मुझे अच्छा लगा ..........

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  28. शर्मा जी..........आप ब्लॉग पर आये....शुक्रिया......रचना पढ़ी एवं सराही इस हेतु भी धन्यवाद ..आपने पूछा है कि ,प्यार को जताना ज़रूरी है क्या?हमेशा जताना ज़रूरी नहीं होता पर कभी कभार ...ये सुनना सभी को अच्छा लगता है कि कोई हमसे प्यार करता है....यूँ तो मौन अपने आप में बहुत मुखर होता है तब भी यूँ ही कभी बेसाख्ता कुछ लफ्ज़ प्यार के अच्छे लगते हैं

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  29. सुनीला जी........जी हाँ मैं भी मानती हूँ कि कभी कभी अभिव्यक्त भी करना चाहिए प्यार को.......दूसरा शख्स अंतर्यामी नहीं हैं...उसे भी जतलाना चाहिए.....वैसे भी कौन ऐसा होगा जिसे ये सुनना अच्छा न लगे कि कोई उसे चाहता है....आपको रचना अच्छी लगी.......ये जान कर मुझे अच्छा लगा .

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  30. bahut achhe

    kyaa maayne hai mere tumhaare jeevan main
    bataa to ab to satay
    kyonki yahi par praan atke rahe hai mere

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  31. Mohammad ShahabuddinMay 28, 2011 at 5:59 PM

    निधि: कमाल का लिखा है... एक भावना, एक सच्चे एहसास की पीड़ा हो, मानो जीवन के किसी पन्ने को खोल कर रख दिया गया हो ......अद्भुत...

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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