बरसों बीत गए
तुमसे जुदा हुए
दुनिया की नज़र में
तुम्हें भूल भी चुके हैं.
पर,पता नहीं क्या बात है
हाथ दुआ में उठते हैं
तो तुम जुबां पे आते हो
आँखें बंद करूँ
तो तुम ही नज़र आते हो .
इस सब से तो आज भी यही लगता है
कि,तुम जहां भी रहो,
जिसके साथ भी रहो,
जैसे भी रहो ......
पर,
मेरे दिल में
सालों पहले ....
जहां दर्द-ए-मोहब्बत होता था
वो दर्द आज भी वहाँ ......
...पूरी शिद्दत से बरकरार है.
हाथ उठते हैं दुआ में तो तेरा नाम आता है .. तो एहसास होता है तुम्हें नहीं भूल सके
ReplyDeleteप्यार के जज्बात भी निराले होतें हैं.एक प्यार करनेवाला ही बेहतर समझ सकता है उन्हें .मुझे तो एक टीस का अहसास होता है आपकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति में.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
आप मेरे ब्लॉग पर अभी तक नहीं आयीं हैं इस बार.मेरी ५ मई की पोस्ट आपका बेसब्री से इंतजार कर रही है.प्लीज,भूलिएगा नहीं निधि जी.
रश्मिप्रभा जी ....जब भी आपकी टिप्पणी दिखती है पोस्ट पर मन प्रसन्न हो जाता है......आपकी लिखी एक पंक्ति भी .पूरा उत्साहवर्धन करती है..............धन्यवाद
ReplyDeleteराकेशजी.......मुझे याद है आपके ब्लॉग पर आना.........अवश्य आऊँगी........आप आये,पढ़नेएवं प्रतिक्रया देने हेतु......इसके लिए शुक्रिया
ReplyDeleteबड़ी ही खूबसूरती से तुम दिल के जज्बातों को अल्फाजों के शकल दे देती हो...मैंने बारहा कहा है और फिर कहता हूँ यह हुनर तुममे ही है...कितने खूबसूरत शब्द हैं के जब हाथ दुआ के लिए उठाते हैं तो जुबान पर तुम आते हो...आँखें बंद करो तो तुम नज़र आते हो...सच बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteएक बेटी, बहन, पत्नी और फिर माँ... जिसने प्यार के इस जज्बे की बारीकी को देखा, समझा, जाना और महसूस किया... वोही प्यार को इतने सुन्दर शब्दों में प्रस्तुत करने की छमता रखती है...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, बधाई आपको निधि जी...
MS.............मेरे हुनर की आपने दाद दी .........आपने शब्दों से किये मेरे इस खिलवाड को हुनर माना ये आपका बड़प्पन है.......धन्यवाद
ReplyDeleteविनय जी...........किसी की भी उन्मुक्त भाव से प्रशंसा करना कोई आपसे सीखे.....बहुत आभार ....ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी की मुझे सदा प्रतीक्षा रहती है.
ReplyDeletebehad baaw puran abhibaykti....bahut sundar..man ko chhuti dard ko mehshush karti...badhai...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteसाभार
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अर्थिजा.........आपने अपना कीमती वक्त मुझे दिया...इस हेतु आपका आभार !
ReplyDeleteविवेक................शुक्रिया कि आप ब्लॉग पर आये,रचना को पढ़ा एवं पसंद किया .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना गहराई तक छू जाती है.....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ख़याल को शब्द दे देती हैं आप .... बहुत लाजवाब ....
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDelete.....माफी चाहता हूँ..
संजय जी..माफी की तो कोई आवश्यकता ही नहीं है.......मुझे तो बस यह लगा था कि कहीं आप भी उन लोगों में से ना हों जो एक बार आ कर रास्ता भूल जाते हैं.....खैर,मेरी खुशनसीबी की आप दोबारा आये........आपका शुक्रिया....तहे दिल से........आपने अपने व्यस्त जीवन से समय निकाल कर रचना को पढ़ा एवं सराहा.......आभार!!!!!
ReplyDeleteमन में टीस का अहसास
ReplyDeleteअहसास से उपजी भावनाएं
भावनाओं को मिले अनुपम शब्द
शब्द-शब्द सजी अच्छी कविता !!
दानिश.......आपकी टिपण्णी के शब्द भी किसी कविता से कम नहीं हैं...........शुक्रिया मेरी रचना को पसंद करने के लिए और इतने खूबसूरत लफ़्ज़ों में अपना कमेन्ट पोस्ट करने के लिए
ReplyDelete.... बेहद सुंदर ..रचना है 'निधि'.... आप एक परिपक्व कवियत्री है इसमें कोई संदेह नहीं है... आपने बेहद सुंदरता से 'विरह वेदना' को शब्दों समेटा है ...
ReplyDelete.
जाने किसका इंतज़ार रहा हरदम
मिला ही नहीं जो वो प्यार रहा हरदम
तस्वीर ख्यालों में भी धुंधली हो चुकी
'दर्द-ए-दिल' फिर भी बरकरार रहा हरदम
अमित................पोस्ट को आपने वक्त निकाल कर पढ़ा....सराहा और अपने एक खूबसूरत शेर से नवाजा............शुक्रिया!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeletebahut hi sunder likha hai nidhiji.mere dil mei..........barkarar hai.pad kar achha laga.abhar.
ReplyDeleteसुनीला जी...................आपका धन्यवाद कि आपने पढ़ा , सराहा और अपने दिल में उसे रखा...........
ReplyDeleteNidhi jee kaafi achha hai..
ReplyDeleteहुस्न गर मिल जाए कहीं तुमको तो उसको मेरी भी एक सदा देना
जाने कितनों को मौत तूने बख्शी है, और तेरा काम था ज़िन्दगी देना...
अभिषेक..............नवाजिश!!आपका शेर भी बहुत बढ़िया है...मेरी पोस्ट को आपने पढ़ा और सराहा............शुक्रिया
ReplyDeleteमेरे दिल में सालो पहले जहाँ दर्द - ए- मोहब्बत होता था ..
ReplyDeleteवो दर्द आज भी वहां ..
पूरी शिद्दत से बरकरार है ...!!!
बहुत ही खूबसूरती से हाल-ए-दिल बयाँ किया है .. अतिसुन्दर ..!!!
शोभा जी...............बहुत धन्यवाद.......ब्लॉग पर आप के आने के लिए......रचना पढ़ने और सराहने के लिए और साथ ही साथ वक्त निकाल कर टिप्पणी करने के लिए
ReplyDeletebahot he acha
ReplyDeleteशुक्रिया.................कमल जी
ReplyDeletenidhi dear ............ what can say........
ReplyDeleteok
ammuuuhhhhhaaaaaaaaa
bhavna bhavee