ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
bahut hi saralta ke saath likhi hai aapne......tazgi liye hue.
ReplyDeleteबहुत आभार.....मृदुला जी !
ReplyDeletenidhi ji...namaste...pehli bar apke blog pe aai or pata chala ki aap bhi isi kashmksha se gujar rahi hai ki aakhir main kya karu....waise jha tk mera jabab haiki bolna hi chahie or wo bhi jo unhe pasnd aae...it is better to speak,than keep quite...
ReplyDeletenidhi ji ... blog open kar den taki suvidhanusar main rachnayen le sakun
ReplyDeleteनिधि जी, बहुत सुन्दर असमंजस को अभिव्यक्त करती भावपूर्ण प्रस्तुति की है आपने.बोलना तो चाहिये ही.
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पर आयीं इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.
कृपया, एक बार फिर आईयेगा,नई पोस्ट जारी की है.आपके सुविचारों
की आनंद वृष्टि की अपेक्षा है.
अर्थिजा..........आपक ब्लॉग पर आई..शुक्रिया.......कई बार ऐसा होता है कि दूसरा शख्स जब आपसे आपके दिल की ,आपकी भावनाओं की सुनना ही ना चाहे तो सब एकतरफा सा लगने लगता है .......जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे ..........केवल गीतों तक ही रहे तो अच्छा लगता है.
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी ...मुझे नहीं आता कि कैसे ओपन होगा .......आप बता दें.......
ReplyDeleteराकेशजी.....शुक्रिया......आप सभी कि सलाह यही है कि बोलना तो चाहिए ही..........मैं ध्यान रखूंगी..........आपके ब्लॉग पर पुनः आऊँगी........
ReplyDeleteसटीक प्रश्न ...भावनाओं को शब्दों में उतार दिया है
ReplyDeleteसंगीता जी............धन्यवाद !आपसे प्रोत्साहन देने वालों से ही और बेहतर कुछ लिखने की इच्छा बनी रहती है
ReplyDeleteभावनाओं को शब्दों में उतार दिया
ReplyDeleteएक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
main kya bataun... aata tab n
ReplyDelete.. बेहतरीन पंक्तियाँ है ....निधि.. आपकी रचनाओं में भावानाओ की परिपक्वता स्पष्ट नज़र आती है........
ReplyDelete...
उससे कह दो कि चुप भी रहे
ये खामोशी बहुत शोर करती है
संजय जी...............हार्दिक धन्यवाद.........पोस्ट को पढ़ने,सराहने और टिप्पणी करने के लिए
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी....आपको जो भी रचना चाहिए ...आप मुझे शीर्षक बता दिया कीजिये मैं आपको मेल कर दूंगी.....या आपको कहीं से ओपन करना पता चल जाए तो उसकी जानकारी मुझे दे दें
ReplyDeleteअमित...............सच में मौन बहुत मुखर होता है कभी कभी.आपने रचना में विचारों को परिपक्व पाया....उस हेतु आपका आभार .
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ReplyDeletewo bolu jo tume accha lage....madhur vani....acche lage ktu vani kan kani
ReplyDeletebahut khoob...
ReplyDeleteशुक्रिया..........संजय जी आपके सुझाव के लिए........बस यह ज़रूर है कि सबका दिल रखने के लिए मीठी वानी बोलती रहूँ ..मीठी यानि जो उनको अच्छी लगे तो अपने मन का कब बोलूँ?
ReplyDeleteसत्या ........धन्यवाद ,पोस्ट पढ़ने एवं सराहने हेतु
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