Friday, May 6, 2011

मैं क्या करूँ?

मेरा कुछ बोलना तुमसे

और तुम्हारा खफा होना

जब,तय किया कि नहीं बोलूंगी

तुमसे आगे कभी भी,

तो,तुम्हें मेरी चुप्पी भी खली.

अब ,तुम्ही बताओ 

आखिर मैं क्या करूँ?

बोलूं तुमसे या चुप रहूँ?

या फिर...........

.....वो बोलूँ ..जो ,तुम्हें अच्छा लगे

और नहीं तो बस चुप रहूँ.

21 comments:

  1. bahut hi saralta ke saath likhi hai aapne......tazgi liye hue.

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  2. बहुत आभार.....मृदुला जी !

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  3. nidhi ji...namaste...pehli bar apke blog pe aai or pata chala ki aap bhi isi kashmksha se gujar rahi hai ki aakhir main kya karu....waise jha tk mera jabab haiki bolna hi chahie or wo bhi jo unhe pasnd aae...it is better to speak,than keep quite...

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  4. nidhi ji ... blog open kar den taki suvidhanusar main rachnayen le sakun

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  5. निधि जी, बहुत सुन्दर असमंजस को अभिव्यक्त करती भावपूर्ण प्रस्तुति की है आपने.बोलना तो चाहिये ही.

    आप मेरे ब्लॉग पर आयीं इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.
    कृपया, एक बार फिर आईयेगा,नई पोस्ट जारी की है.आपके सुविचारों
    की आनंद वृष्टि की अपेक्षा है.

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  6. अर्थिजा..........आपक ब्लॉग पर आई..शुक्रिया.......कई बार ऐसा होता है कि दूसरा शख्स जब आपसे आपके दिल की ,आपकी भावनाओं की सुनना ही ना चाहे तो सब एकतरफा सा लगने लगता है .......जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे ..........केवल गीतों तक ही रहे तो अच्छा लगता है.

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  7. रश्मिप्रभा जी ...मुझे नहीं आता कि कैसे ओपन होगा .......आप बता दें.......

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  8. राकेशजी.....शुक्रिया......आप सभी कि सलाह यही है कि बोलना तो चाहिए ही..........मैं ध्यान रखूंगी..........आपके ब्लॉग पर पुनः आऊँगी........

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  9. सटीक प्रश्न ...भावनाओं को शब्दों में उतार दिया है

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  10. संगीता जी............धन्यवाद !आपसे प्रोत्साहन देने वालों से ही और बेहतर कुछ लिखने की इच्छा बनी रहती है

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  11. भावनाओं को शब्दों में उतार दिया
    एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!

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  12. .. बेहतरीन पंक्तियाँ है ....निधि.. आपकी रचनाओं में भावानाओ की परिपक्वता स्पष्ट नज़र आती है........
    ...
    उससे कह दो कि चुप भी रहे
    ये खामोशी बहुत शोर करती है

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  13. संजय जी...............हार्दिक धन्यवाद.........पोस्ट को पढ़ने,सराहने और टिप्पणी करने के लिए

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  14. रश्मिप्रभा जी....आपको जो भी रचना चाहिए ...आप मुझे शीर्षक बता दिया कीजिये मैं आपको मेल कर दूंगी.....या आपको कहीं से ओपन करना पता चल जाए तो उसकी जानकारी मुझे दे दें

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  15. अमित...............सच में मौन बहुत मुखर होता है कभी कभी.आपने रचना में विचारों को परिपक्व पाया....उस हेतु आपका आभार .

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  16. This comment has been removed by a blog administrator.

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  17. wo bolu jo tume accha lage....madhur vani....acche lage ktu vani kan kani

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  18. शुक्रिया..........संजय जी आपके सुझाव के लिए........बस यह ज़रूर है कि सबका दिल रखने के लिए मीठी वानी बोलती रहूँ ..मीठी यानि जो उनको अच्छी लगे तो अपने मन का कब बोलूँ?

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  19. सत्या ........धन्यवाद ,पोस्ट पढ़ने एवं सराहने हेतु

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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