Monday, April 15, 2013

उदासी




उदासी...
एक बड़ी चादर
जो ढांक लेती है
बाक़ी सारे भाव
अपने अंदर.

उदासी....
इसके नुकीले पैने नाखून
उतार देते हैं खुरच कर
शेष बची सारी खुशियाँ
मन के अंतरतम से .

उदासी....
एक काली बंद गुफा
जहां,कितना ही पुकारो
कोई नहीं सुनता
कोई नहीं आता.

उदासी...
अंधा कुआं है
अपनी ही आवाज़ की
प्रतिध्वनियों के सिवा
सुनाने को
इसके आपस और कुछ नहीं .

उदासी ....
कफ़न सी सफ़ेद
मरघट की नीरवता लिए
मौत सी शान्ति के साथ
धीरे धीरे जान लिए जाती है

उदासी...
एक महामारी सी
एक से दूसरे तक
पाँव पसारती ...
धीरे- धीरे फैलती ...
लील जाती सब कुछ .


((प्रकाशित )






























10 comments:

  1. शुभ संध्या...

    उदासी...
    अंधा कुआं है
    अपनी आवाज़ की अनुगूँज
    के सिवा
    कुछ सुनाई नहीं देता
    अप्रतिम अभिव्यक्ति..........
    सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया

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  2. उदासी के साइड इफेक्ट बिलकुल सटीक लिखे हैं ....बेहतरीन

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    Replies
    1. सराहने के लिए...आभार

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  3. बहुत गहरी रचना.. दिल की गहराइयों में उतर जाती है!!

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  4. उदासी के कितने आयाम ...
    अनेक रंगों से लिखा है उदासी का नगमा ... बहुत उम्दा ...

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  5. वाह क्या खूब परिभाषित किया है उदासी को आपने ....हर एक परिभाषा सटीक !!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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