ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, February 21, 2013
खारापन
ज़िंदगी में से मिठास कहीं खो गयी है
हर ओर बस..तल्खियां ही तल्खियां हैं
तेरी-मेरी कुछ मजबूरियां है ...
साथ रहती केवल तनहाईयाँ हैं
गुज़रना चाहती हूँ ...महसूस करना चाहती हूँ
चखना चाहती हूँ
जीवन का हरेक स्वाद .
पर ...आजकल कोई ज़ायका
समझ में नहीं आता
खारेपन के अलावा .
क्या करूँ ???
तेरी आँख के
उस आंसू का खारापन
जाता ही नहीं ज़ुबां से
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सही कहा आपने जिंदगी की मिठास खो गई है,बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteजी..एक बार खो जाए यह मिठास तो मुश्किल होता है इसे ढूँढ पाना ,दोबारा
Deleteप्रेम के भाव में डूबी खूबसूरत नज़्म
ReplyDelete"क्या करूँ ???
ReplyDeleteतेरी आँख के
उस आंसू का खारापन
जाता ही नहीं ज़ुबां से "
खारेपन से जुबां छिल जाये तो कोई स्वाद नहीं मिलता....!
सही कहा,पूनम.जुबां छिली हो तो कोई स्वाद नहीं आता
Deleteबहुत सुन्दर और मर्मिक.
ReplyDeleteना रिश्तों की महक दिखती ना बातोँ में ही दम दीखता
क्यों मायूसी ही मायूसी जिधर देखो नज़र आये
शुक्रिया...!!
Deleteपता नही क्यूँ जिन्दगी की सारी मिठास जाने कहाँ गुम सी गई है,,,,
ReplyDeleteRecent post: गरीबी रेखा की खोज
धन्यवाद!
Deleteथैंक्स!!
ReplyDeleteप्रेम की चासनी जब आएगी ... खारापन दूर हो जायगा ...
ReplyDeleteप्रेम के एहसास को जीने की आदत में डालना ही ठीक होता है ...