Thursday, July 19, 2012

इग्नोर करना



इग्नोर करना भी अच्छा होता है...

कभी न कभी इससे ..

मैं भी सीख जाउंगी

तुम्हारे प्रति उदासीन होना .

तुम्हारा मुझे इग्नोर करना मुझे सिखा देगा

कि कैसे तुमसे नफरत और प्यार किये बगैर

ज़िंदा रहा जा सकता है .

तेरी फ़िक्र,परवाह किये बगैर

खाना मेरा पच सकता है .

तेरे प्यार ,तेरी डांट,तेरे ख्याल के बगैर

सब नोर्मल रह सकता है .

रुको...

सुन तो लो

तुम्हारे इग्नोर करने का"शुक्रिया"

24 comments:

  1. जैसे तुम वैसे हम....
    तब भी...और अब भी...

    अनु

    ReplyDelete
  2. जो इग्नोरेंस में भी प्यार खोज ले...उसका प्रेम अतुलनीय है। जिंदगी संवर जाती है ऐसे इंसान की जिसे ऐसा प्रेमी मिले। पर मुश्किल डगर यही है कि जिसे इतनी आत्मीयता से प्रेम किया जा रहा होता है वह उस प्रेम को किंचित भी नहीं समझता...वह बहुत देर से समझता है। लेकिन जो उसकी इस इग्नोरेंस में भी प्यार ढूंढ़ रहा है उसका प्रेम बेमिसाल है...जो उसके इग्नोरेंस के लिए भी उसे शुक्रिया अदा करे...वह सचमुच बधाई का पात्र है और वस्तुत: सही मनुष्य है...काश हमें भी कोई इस कदर प्रेम करने वाला मिले!!!

    धन्यवाद इस कविता के लिए...आप मेरी सुंदर कल्पनाओं को जीवित रखने का बहुत बड़ा संबल हैं...

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्रेम में और कुछ दिखाई देना बंद हो जाता है...जहां नज़र जाती है उसका करम नज़र आता है...और जब करम नज़र आये तो शुक्रिया कहना तो बनता है उस शख्स का जिसने प्यार के मायने सिखाये फिर इग्नोर कर के भी बहुत कुछ समझने में भी मदद की .
      आपको भी मिल जाएगा कोई न कोई प्यार करने वाला ...तलाश जारी रखिये.
      आपके उत्साहवर्धन हेतु ,आभार!!

      Delete
  3. कृपया स्पाम से ढूंढ़ लीजिए ...हमारी टिप्पणी.

    ReplyDelete
  4. आज तो अनुस्मारक भी स्पाम के हवाले.

    ReplyDelete
    Replies
    1. दोनों को चंगुल से निकल दिया है .मेरे स्पैम बॉक्स को आपकी टिप्पणियों से बेपनाह मुहब्बत है

      Delete
  5. ये भी अच्छा है...
    बहुत खूब||||
    :-)

    ReplyDelete
  6. मुझे doubt है की आप कभी ऐसा सीख पाओगे, की ज़िन्दगी अब कभी वैसी नोर्मल जो जाएगी :)

    ये सभी doubt के बावजूद,बेहद खूबसूरत कविता.

    ReplyDelete
    Replies
    1. तुम्हारा यह डाउट वाजिब है क्यूंकि यह संदेह तो मुझे भी है .यकीं होता तो मैं यह कविता थोड़े ही लिख रही होती

      Delete
  7. ये भी सही है ... पर संदेह है इसमें भी :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. संदेह तो निस्संदेह है !!

      Delete
  8. Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया!!

      Delete
  9. क्या सच में वो इग्नोर था ... क्या आसान है करना ... या खुद का सीखना ...

    ReplyDelete
  10. मैं आमंत्रित करता हूं आपको मेरे ब्लॉग बूंद-बूंद इतिहास की नई पोस्ट पर...

    ReplyDelete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers