
तुम कहते हो कि
लोग आँखें पढ़ लेते हैं .
मैं एक ऐसे शख्स से
वाकिफ हूँ ....
जो,बिन मुझे देखे सब जान लेता है
कब हूँ खुश कब उदास पहचान लेता है .
मोबाइल पे मेरी आवाज़ का एक हेल्लो
और वो पूछ लेता है ....
क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो
कभी वही मेरी आवाज़ और वो कहता है
क्या बात है कुछ उदास हो क्या?
मेरा इधर हेल्लो बोलना और उसका कहना
कौन सी बात से परेशां हो ,कहो तो.
मैं वही ..हेल्लो वही ,
मैं उसे दिखती भी नहीं
तब भी जानता है हाल ए दिल.
कहता भी है
मन पढ़ने के लिए ज़रूरी नहीं मिलना ज़रूरी है
एक से दूसरे तक एहसासों का बहना .