ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, April 18, 2012
ढाई आखर
तुम्हारे कहने से
शुरुआत करने बैठी हूँ
एक नए अध्याय की .
जीवन की स्लेट से
पिछला सारा लिखा
हटा कर,मिटा कर .
बीता वक्त
भूल बिसार कर .
लेकर बैठी हूँ
नयी किताबें...
जीवन जीने की कला
सिखाने वाली .
पर ,क्या करूं ???
समझ नहीं आ रहा....
मेरी तो वर्णमाला
उन ढाई आखरों तक ही सीमित है
उनसे आगे न कुछ जाना
ना कभी समझना चाहा है .
ढाई अक्षरों में सिमटे
अपने जीवन के इस ज्ञान
को आगे कैसे बढाऊं??
तुमसे परे अपनी सोच और समझ
कैसे और कहाँ ले जाऊं ???
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ये ढाई आखर ही जीवन का मूल हैं जिसने इन्हें पढ़ लिया उसे और किसी भी ज्ञान की जरुरत नहीं... सुन्दर भाव
ReplyDeleteजी........बिलकुल सही कहा,आपने.
Deleteप्यार -लव -प्रेम - मोहब्बत और न जाने कितने नामो से पहचाने एवं पुकारने जाने वाला यह ढाई अक्षर का शब्द दरअसल में किसी अफसाने - तराने से कम नही है। प्यार जिदंगी में हर किसी को होता और छोड़ता रहता है। अकसर लोग कहते है कि ''ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
प्यार से बढ़कर कुछ नहीं है इस संसार में .
Deleteजिसने इन ढाई आखर को समझ लिया उसने सर्वस्व पा लिया…………सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteजिंदगी स्लेट ही तो है .... लिखिए खूब .... ब्लॉग पर आने के लिए आपका आभार
Deleteजी स्लेट ही है जिंदगी..अपनी इबारत लिखनी है,उसपे
Deleteखूबसूरत ख्याल..
ReplyDelete...
"वो सोच ही क्या जो मुझसे दूर जाये..
समीप रहूँ सदैव ऐसी नियति हो जाये..!!"
...
थैंक्स!!..तुम मेरे पास ही रहना,हमेशा .
Deleteसुंदर भाव समर्पण के ...प्रेम के ...आसक्ती के ...
ReplyDeleteशुभकामनायें ....
हार्दिक धन्यवाद!!
Deleteइन ढाई आखर में पूरी वर्णमाला जो छुपी है.................
ReplyDeleteसब कुछ इन्ही में निहित है.
Deleteवो ढाई अक्षर ही तो जीवन की पूर्ण वर्णमाला है... बधाई.
ReplyDeleteसब कुछ इन्हीं लफ़्ज़ों के आगे -पीछे घूमता है.
Deleteवाह ॥बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteधन्यवाद!!
Deleteहटकर सोचना भी ऐसी कविता को जन्म देता है।
ReplyDeleteहाँ जी....
Deleteरेम की सार्थकता को जिया है आपने ,आपकी यह पोस्ट शानदार है. बधाई|
ReplyDeleteआपको अच्छा लगा.....थैंक्स!!
Deleteवाह ... बहुत ही अनुपम भाव संयोजित किए हैं आपने जीवन की स्लेट पर ..
ReplyDeleteआपको भाव अच्छे लगे....शुक्रिया !!
Deleteबहुत मुश्किल होता है सब कुछ भुला कर नयी शुरुआत करना...भावों और शब्दों का सुन्दर संयोजन...बहुत सशक्त प्रस्तुति...
ReplyDeleteमुश्किल तो होता है....यकीनन .
Deleteअनूठे शब्द और अद्भुत भाव से सजी इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
हार्दिक धन्यवाद !!
DeleteJiska naam aur vajood aatma mei ho...usse pare kuch soch paana namumkin hai...
ReplyDelete"bas jee rahe hai ek naam ke sahare
lekin kambhakt vo naam wala insaan bhi hamari jaageer nahi"
मुश्किल तो यही है...शेफाली....!!जीने और जिंदा रहें में फर्क है....
Deleteaapki kavitaye udaas karti hai mujhe magar kahte hai na kuch dard meethe hote hai, aapke shabdo ko padkar sukoon bhi milta hai to kabhi aakrosh bharta hai man mai jeevan ka kadva sach dekhkar.
Deleteअच्छा नहीं लगा जान कर कि मेरी कविताएँ उदासी की ओर ले जाती हैं,तुम्हें .खैर,चलो ...मीठा वाला दर्द है .आक्रोश ..करने से कोई फायदा है क्या?
DeleteNidhi, I am sorry but I think you understand my perspective. There is only one thing that makes life happy and that is ACCEPTANCE. Momentary anger does not take it anywhere.
Deleteस्वीकार कर लेने के अलावा हमारे पास और कोई चारा होता है क्या?
Deleteप्रेम का पूरा पांडित्य है इन ढाई अक्षरों में ...जिसने इसे पढ़ लिया जीवन उसका महाकाव्य बन गया ........और तू तो रचयिता / नायिका है इस महाकाव्य की
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