Wednesday, April 18, 2012

ढाई आखर



तुम्हारे कहने से
शुरुआत करने बैठी हूँ
एक नए अध्याय की .
जीवन की स्लेट से
पिछला सारा लिखा
हटा कर,मिटा कर .

बीता वक्त
भूल बिसार कर .
लेकर बैठी हूँ
नयी किताबें...
जीवन जीने की कला
सिखाने वाली .

पर ,क्या करूं ???
समझ नहीं आ रहा....
मेरी तो वर्णमाला
उन ढाई आखरों तक ही सीमित है
उनसे आगे न कुछ जाना
ना कभी समझना चाहा है .
ढाई अक्षरों में सिमटे
अपने जीवन के इस ज्ञान
को आगे कैसे बढाऊं??
तुमसे परे अपनी सोच और समझ
कैसे और कहाँ ले जाऊं ???

34 comments:

  1. ये ढाई आखर ही जीवन का मूल हैं जिसने इन्हें पढ़ लिया उसे और किसी भी ज्ञान की जरुरत नहीं... सुन्दर भाव

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी........बिलकुल सही कहा,आपने.

      Delete
  2. प्यार -लव -प्रेम - मोहब्बत और न जाने कितने नामो से पहचाने एवं पुकारने जाने वाला यह ढाई अक्षर का शब्द दरअसल में किसी अफसाने - तराने से कम नही है। प्यार जिदंगी में हर किसी को होता और छोड़ता रहता है। अकसर लोग कहते है कि ''ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े ...

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्यार से बढ़कर कुछ नहीं है इस संसार में .

      Delete
  3. जिसने इन ढाई आखर को समझ लिया उसने सर्वस्व पा लिया…………सुन्दर भावाव्यक्ति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जिंदगी स्लेट ही तो है .... लिखिए खूब .... ब्लॉग पर आने के लिए आपका आभार

      Delete
    2. जी स्लेट ही है जिंदगी..अपनी इबारत लिखनी है,उसपे

      Delete
  4. खूबसूरत ख्याल..

    ...

    "वो सोच ही क्या जो मुझसे दूर जाये..
    समीप रहूँ सदैव ऐसी नियति हो जाये..!!"
    ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. थैंक्स!!..तुम मेरे पास ही रहना,हमेशा .

      Delete
  5. सुंदर भाव समर्पण के ...प्रेम के ...आसक्ती के ...
    शुभकामनायें ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद!!

      Delete
  6. इन ढाई आखर में पूरी वर्णमाला जो छुपी है.................

    ReplyDelete
    Replies
    1. सब कुछ इन्ही में निहित है.

      Delete
  7. वो ढाई अक्षर ही तो जीवन की पूर्ण वर्णमाला है... बधाई.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सब कुछ इन्हीं लफ़्ज़ों के आगे -पीछे घूमता है.

      Delete
  8. हटकर सोचना भी ऐसी कविता को जन्म देता है।

    ReplyDelete
  9. रेम की सार्थकता को जिया है आपने ,आपकी यह पोस्ट शानदार है. बधाई|

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको अच्छा लगा.....थैंक्स!!

      Delete
  10. वाह ... बहुत ही अनुपम भाव संयोजित किए हैं आपने जीवन की स्‍लेट पर ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको भाव अच्छे लगे....शुक्रिया !!

      Delete
  11. बहुत मुश्किल होता है सब कुछ भुला कर नयी शुरुआत करना...भावों और शब्दों का सुन्दर संयोजन...बहुत सशक्त प्रस्तुति...

    ReplyDelete
    Replies
    1. मुश्किल तो होता है....यकीनन .

      Delete
  12. अनूठे शब्द और अद्भुत भाव से सजी इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...

    नीरज

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद !!

      Delete
  13. Jiska naam aur vajood aatma mei ho...usse pare kuch soch paana namumkin hai...
    "bas jee rahe hai ek naam ke sahare
    lekin kambhakt vo naam wala insaan bhi hamari jaageer nahi"

    ReplyDelete
    Replies
    1. मुश्किल तो यही है...शेफाली....!!जीने और जिंदा रहें में फर्क है....

      Delete
    2. aapki kavitaye udaas karti hai mujhe magar kahte hai na kuch dard meethe hote hai, aapke shabdo ko padkar sukoon bhi milta hai to kabhi aakrosh bharta hai man mai jeevan ka kadva sach dekhkar.

      Delete
    3. अच्छा नहीं लगा जान कर कि मेरी कविताएँ उदासी की ओर ले जाती हैं,तुम्हें .खैर,चलो ...मीठा वाला दर्द है .आक्रोश ..करने से कोई फायदा है क्या?

      Delete
    4. Nidhi, I am sorry but I think you understand my perspective. There is only one thing that makes life happy and that is ACCEPTANCE. Momentary anger does not take it anywhere.

      Delete
    5. स्वीकार कर लेने के अलावा हमारे पास और कोई चारा होता है क्या?

      Delete
  14. प्रेम का पूरा पांडित्य है इन ढाई अक्षरों में ...जिसने इसे पढ़ लिया जीवन उसका महाकाव्य बन गया ........और तू तो रचयिता / नायिका है इस महाकाव्य की

    ReplyDelete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers