ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Friday, February 14, 2014
ऐसा नहीं हो सकता क्या
सुनो न
मैंने मान लिया
बहुत खराब हूँ मैं
तुम्हें परेशान करता हूँ
दुःख भी देता रहता हूँ
पर इस सब के बाद भी
यकीं जानो ..
तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.
ऐसा नहीं हो सकता क्या
कि मेरी सारी कमियाँ
सब गलतियां
तुम बुहार दो..
छिपा दो ..
उस कालीन के नीचे
जिस पर लिखा है
आई लव यू .
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वाह....
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर...
:-)
वाह ! बहुत उम्दा प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
सुन्दर प्रस्तुति। सादर।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : भारत कोकिला सरोजिनी नायडू
क्या हिन्दी ब्लॉगजगत में पाठकों की कमी है ?
लो छिपा दिया......
ReplyDeleteइन चंद अल्फाजों के नीचे कितना कुछ छिप जाता है...
:-) <3
अनु
छिपा तो दें ,लेकिन कभी को झाँकेगा ही न !
ReplyDeleteप्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.......
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteक्या बात है ... इतनी मासूमियत से कही है बात की उड़ गयीं सब कमियां ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
इंसान गुनाह का पुतला है। मैं भी एक इंसान हूँ। तुम मुझे मेरी तमाम ख़ामियों के साथ क़बूल कर लो यही मुनासिब है।
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