Tuesday, August 13, 2013

करते हैं दुआ




कितनी ही रातें गुजरी
आँखों आँखों में
तेरी आमद के सारे रस्ते धोये
आँखों की बरसातों ने.

तुम तो "आता हूँ "
कह कर भूल गए
वाकिफ भी नहीं ...
किसी की दुनिया और वक़्त रुका हुआ है
तुम्हारे इंतज़ार में .

तुम वहाँ अपने हाथ उठाओ
मैं अपनी हथेली आगे बढाती हूँ
जोड़ कर दोनों हथेलियाँ
करते हैं दुआ".....
......ऐ खुदा !
सुन ले ज़रा ....!!"

मांग लेते हैं
एक दूजे को
एक दूजे के लिए .
लकीरें मिले ना मिलें
हम दोनों मिलें
साथ साथ रहें
......हमेशा.

(प्रकाशित)










































7 comments:

  1. हम दोनों मिलें
    साथ साथ रहे हमेशा.,,,,बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,

    recent post : नववर्ष की बधाई

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  2. मांग लेते हैं
    एक दूजे को
    एक दूजे के लिए .
    लकीरें मिले ना मिलें
    हम दोनों मिलें
    साथ साथ रहे ..........हमेशा.

    ....वाह! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....

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  3. तुम वहाँ अपनी हथेली रखो
    मैं अपनी आगे बढाती हूँ
    जोड़ लेते हैं दोनों हथेलियाँ
    करते हैं दुआ...

    इस दुआ के सामने तो खुद भी मजबूर हो जायेगा

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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