
प्लीज़ ...यार, मेरी एक बात सुनो
तुम जो चाहें सोचो
या जो मन में आये करो
पर,मेरे पास रहो .
इतना पास...
कि जब मन करे
तो तुम्हें छू सकूँ
बांहों में भर सकूँ
जी भर के चूम सकूँ .
अच्छा ,एक बात बताओ
तुम्हें ऐसा कभी नहीं लगता ,क्या ?
कभी मन नहीं करता
कि नज़दीक रहो .
पता है ,लगता भी होगा न
तो तुम कहोगे नहीं.
यूँ भी ...जतलाना
तुम्हारी फितरत कहाँ ?
सब जानने के बाद भी
मैं कहूँगी यही
कि कह देना ..
रिश्ते की सेहत के लिए अच्छा होता है