बसंती बयार
कोयल की पुकार
सरसों महकता हुआ
टेसू दहकता हुआ
बौराये आम
दरकिनार काम
अलसाए तन
पगलाये मन
अनमने से हम
और उस पर तेरी याद
न जाने क्या क्या
गुल खिलाती हुई
है मेरे साथ
कभी करती आबाद
तो कभी बर्बाद
ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
वाह...बहुत सुन्दर ..चटकीले रंगों से रंगी कविता...!
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