Thursday, June 2, 2011

नशा उन्मूलन केंद्र

सब बड़े परेशान हैं मुझसे
आजकल रोज ,सारा -सारा दिन
खोजते रहते हैं........
किसी कायदे के नशा उन्मूलन  केंद्र का पता .
कई जगह तो मना कर दिया भर्ती  करने को ,
वो कहते हैं की  मेरे इस नशे का कोई इलाज नहीं .
घर वाले चाहते हैं कि मुझे कहीं भर्ती करा दें,
जिससे मैं अपनी इस लत से छूट सकूँ .


मेरी हालत अजीबो गरीब है
 कुछ दिनों से अपना होश मुझे रहता नहीं
हर बात से हूँ बेखबर ,अपनी भी  फ़िक्र नहीं
सारा दिन .........
एक नीम बेहोशी सी है
सारे शरीर में एक टूटन सी है
उँगलियों के पोर तक मचलते हैं दर्द से
आँखें पथरा सी गयी हैं
ना भूख है ना प्यास
बस एक तुम्हारी आस
तुम ना मिलो तो जी घबराता है
तुम न दिखो तो टीसता है कुछ
होठों से ना लगो तो एक बैचैनी सी होती है
छु ना पाऊँ तुम्हें तो जान सी निकलती है


सब चाहते हैं तुम्हें छोड़ दूं ,हमेशा के लिए
मुझे  यदि जीना है तो तुम्हें छोड़ना होगा 
नहीं तो यह नशा बर्बाद कर देगा मुझे .
अच्छा सच बताओ................
किसी ऐसे केंद्र का पता जानते हो ????????
जहां प्यार की इस लत से छुटकारा मिल जाए
 प्यार........ एक नशा है
लत हो गयी है...तुम्हारी
मेरी आदत हो..ज़रूरत हो तुम!!

तुम मुझे छोड़ गए....
पर मैं ..
तुम्हें छोड़ नहीं  पा रही हूँ 
पता नहीं ..क्यूँ?
मेरी ये लत नहीं जाती
प्यार की यह जान लेवा आदत
अब जान के साथ ही जायेगी.......शायद !

26 comments:

  1. woderful...... vatvriksh ke liye mail karen , rasprabha@gmail.com per

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  2. रश्मिप्रभा जी .........आभार!मैंने आपको मेल कर दिया है......

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  3. वाह निधि जी, क्या सुन्दर रचना गढ़ ढाली आपने एक नाज़ुक से विषय को लेकर और उसको प्यार का रंग दे कर...
    आपके सुन्दर लेखन और बेहतर शब्दों के चयन को मेरा नमन...

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  4. निधि आपकी ये मदहोश करने वाली 'अंदाज़-ए-बयानी' की लत FB के तमाम पाठकों को लगती जा रही है ... आपके 'जिंदगीनामा' के "जाम" हर 'खास-ओ-आम' को लुफ्त-अन-दोज कर रहे है .. आपके इस ज़िंदगीनामा के नाम नाचीज़ का सलाम....

    लुत्फ़ आ रहा है तेरे हर 'मदहोशी-ए-कलाम' में
    अब यही ख्वाहिश है इस नशे से निजात न मिले

    आपकी इस बात बात से मैं इत्तेफाक रखता हूँ कि 'मय-ए-मोहब्बत' . 'मय-ए-मैखाने' से ज्यादा असर रखती है.....

    एक बार पिलाई थी किसी ने नज़रों से
    मैखाने जहां भर के फिर बेअसर हो गए

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  5. निधि : आदत किसी भी सूरत में बुरी ही होती है......नशे की हो या किसी के प्यार की..... नशा है की छोड़ता ही नहीं.... और 'प्यार', वो तो अक्सर ही बीच रास्ते में छोड़कर चल देता है.

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  6. बाबुषा.................आपका भेजा प्यार समेट भी लिया है और सहेज भी लिया है .

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  7. विनय जी.....आपका तहे दिल से शुक्रिया........!!

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  8. अर्चना...........मुझे लगता है कि कुछ खुश नसीब होते हैं जिनका प्यार, जान निकलने के बाद ही साथ छोडता है....हाँ ये जारूर मंनोंगी कि लत किसी कि भी हो बहुत खराब होती है .........बचना चाहिए

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  9. अमित....शुक्रिया मेरी बात से इत्तेफाक रखने के लिए ...आप ने दो इतने खूबसूरत शेर लिखे इसके लिए भी धन्यवाद .

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  10. addiction or excess of anything is bad.

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  11. ज्योति...........सही कहा अति हर चीज़ की खराब होती है..पर,प्यार पे बस नहीं चलता

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  12. aapko bahut search kiya facebook per..aap naheen mile ! :-(

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  13. आदरणीय निधि जी
    नमस्कार !
    बेहतर शब्दों के चयन
    अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

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  14. कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका

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  15. बाबुषा ........मेरा फेसबुक लिंक https://www.facebook.com/profile.php?id=100001240419445

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  16. संजय जी......आपका इन्तेज़ार था.... मैंने सोचा कि सन्देश भेज कर पूछूँ कि ,कहाँ हैं आप?पर फिर संकोच कर गयी .

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  17. हमारे पडोस में तो असली नशा मुक्ति केन्द्र बन रहा है।

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  18. प्यार में डूबी हुई खूबसूरत रचना

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  19. शुक्रिया संदीप जी.................ब्लॉग पर आने के लिए ,रचना को पढ़ कर टिप्पणी करने के लिए

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  20. धन्यवाद.....................अजय जी

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  21. बहुत सुन्दर प्रेममयी रचना...

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  22. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच

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  23. कैलाश जी.............आभार.

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  24. प्यार के कुछ पल

    आँखों से आँसू क्यूँ निकल कर बहते हैं
    क्यूँ होती है बरसात कोई भी समझे ना ||...अंजु(अनु)

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    Replies
    1. दिक्कत तो यही है कि कोई समझे ना

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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