Wednesday, March 16, 2011

तुम ......

जिस  सोच  में  मैं  हूँ  डूबी  हुई ,
उस  चिंता  का  एकमात्र  चिंतन  हो  तुम .
जिससे  सदा  से  मैं  हूँ  बंधी  हुई ,
हाँ ,वही ,मेरा  बंधन  हो  तुम .
तुम्हारी  जुदाई  भी  है  मैंने  सही ,
इस  पीड़ाकुल मन  का  क्रंदन  हो  तुम .
तुम्हे  देख  कर  नज़रें  तुम  पर  ठहर  गयी ,
आँखों  से  भेजा  मूक  आमंत्रण  हो  तुम .
प्यार  की  परिभाषा   मैंने  तुमसे  जानी ,
प्रेम  का  पूर्ण  आलिंगन  हो  तुम .
भावनाएं  जो  मेरे  इस  दिल  में  उपजी ,
उन  भावनाओं  का  स्पंदन  हो  तुम .
तुम्हें  देख  कर  जो  बढ़  गयी ,
हाँ  ,वही  दिल  की  धड़कन  हो  तुम .
जिसके  सहारे  मैं  ये  भव-सागर  पार  करूंगी ,
मेरे  वही  अवलंबन  हो  तुम .

6 comments:

  1. Mohammad shahabuddinMarch 19, 2011 at 11:28 PM

    निधि: बेहद सुन्दर, "तुम" मतलब तुम्हारा महत्त्व मेरे जीवन में क्या है...यह लेखनी दिल से निकलती हैं, इन्हें केवल महसूस किया जा सकता है...तुम्हारा महत्त्व जीवन में क्या है कुछ इन् पंक्तियों में भी ज़ाहिर होता है....
    सहमी सी निगाहों में ख्वाब हम जगा देंगे,
    इस दिल का चैन भी हम लुटा देंगे ,
    तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो ,
    इन पलकों में हमेशा के लिए तुम्हे पनाह देंगे ,
    अपने खयालो के हर कोने में तुम्हे बसा देंगे ,
    फिर तो हम उस चाँद को भी भुला देंगे ,
    तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो ,
    तुम्हारी ख़ुशी के खातिर हम अपने आप को भी सज़ा देंगे ,
    हसा हसा के हम तुम्हे रुला देंगे ,
    रुलाते हुए भी हम तुम्हे हसा देंगे ,
    तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो ,
    हमारी तरह ही हम तुम्हे दीवाना बना देंगे,
    तन्हाई में तुम्हारी हम महफ़िल सजा देंगे ,
    लबो पे तुम्हारी एक मुस्कान जगा देंगे ,
    तुम अपनी चाहत का इज़हार जो करो ,
    उस इज़हार के इंतज़ार में ही हम ज़िन्दगी गुज़ार देंगे ......

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  2. @MS..........आपको भी शब्दों की जादूगरी बहुर अच्छे से आती है तभी तो मेरी इस पोस्ट पर इतनी बढ़िया टिण्पणी लिखी ,आपने.ज़िन्दगी का यही है.......की वो चलती रहती है ........किसी के होने पर भी या न होने पर भी ........पर,यह ज़रूर है की कुछ लोग ऐसे अवश्य होते हैं कि उनके बिन ज़िन्दगी में एक कमी सी हो जाती है........

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  3. निधि आपके लिए..
    नई उमंग नया उत्साह एक नया जीवन हो तुम
    अदभूत अनूठे विचारों का एक नया मंथन हो तुम
    ,,, अपनी एक और बेहद खूबसूरत कविता से भेंट करवाने का शुक्रिया ....

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  4. अमित..............आपने कविता का उत्तर कविता से दिया ....इसके लिए धन्यवाद...........

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