Thursday, February 17, 2011

दिल में स्थान ..........

तुम्हारे साथ
तुम्हारे हाथों को थामे
मैं चली जा रही थी.....
की
हवा का एक झोंका आया 
वो अपने साथ धूल के कुछ कण भी लाया 
उनमें से एक शायद तुम्हारी आँखों में आ पडा 
उस समय तुमने मेरे हाथ से अपना हाथ छुड़ाया 
और अपनी आँख तुम मलने लगे.
तुम्हारा वो हाथ छुड़ाना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा
पर,फिर तुमने जैसे ही मुझसे कहा,
की देखो मेरी आँख में ,
कुछ दिखता है क्या?
और तब..............
तुम्हारे हाथ के छूट जाने का दुःख 
परिणत हो गया 
तुम्हारी आँखों में झाँकने के सुख में.
मैंने देखा,
पता है,क्या देखा?
मुझे दिखाई दी अपनी छवि तुम्हारी आँखों में
मन  हुआ चिल्ला कर सबसे कहूं
कि
मैं बसी हूँ तुम्हारी नज़रों में 
पर ,मैं कह नहीं पायी
कह पाती उससे पहले ही
मेरे चेहरे कि लाली देख
मेरे मन को पढ़ 
कह डाली तुमने वही बात .
मैंने तुम्हारी नज़रों में अपना स्थान बना लिया है
काश...........इसको खुशनसीबी न जाना होता
वरन,तुम्हारे ह्रदय में बसने कि कोशिश की होती
क्यूंकि......
नज़रों में और दिल में स्थान देने में अंतर है ...............
ये फर्क उस दिन समझ  नहीं पायी
की तुम्हारी नज़रों में बसने का अर्थ मात्र यह है
कि आँखों में तुम्हारी तब तक ही मेरी छवि रहेगी 
जब तक मैं विद्यमान हूँ समक्ष तुम्हारे
और जिस पल मैं तुमसे दूर हुई
 मिट जायेगी ये छ्व भी उसी क्षण से .
आज,
ये आता है विचार मन में बारम्बार 
कि काश,तुमने नज़रों के साथ
मुझे दिल में भी जगह दी होती.
तो,कितनी ही दूर तुम मुझसे चले जाते 
मुझे रहता यह विश्वास सदा 
कि चले जाओ तुम चाहें कहीं
मेरी छवि जो अंकित हैं दिल पे तुम्हारे
वह न धूमिल होगी  
न ही मिटेगी कभी 
मेरे ख्याल रहेंगे तुम्हारे दिल में
हमेशा ........सदा ...........





   

6 comments:

  1. @ निधि ... आप लफ्जों की जादूगरनी है ... इतने सुंदर शब्दों में अभिव्यक्ति ....अतुलनीय है...
    एक शेर याद आ रहा है...
    इश्क़ में गर जब्त से काम न लेते
    दिल टूट के गिर जाता गर थाम न लेते

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  2. अमित........आप तारीफ करने में सिद्धहस्त हैं..........प्रशंसा करते हुए आपके पास शब्दों की कमी नहीं होती......खैर,पसंद करने के लिए मेरी और से बहुत आभार ........

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  3. nidhi , this is amazing . beautifully amazing !!
    can i please share it as my note with acknowledgement to you,
    so that i can read and reread and reread and grasp it without opening another link......

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  4. सुनीता...हाँ आप बिलकुल शेअर कर सकती हैं...मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है...आपको पोस्ट पसंद आई..जान कर मुझे अच्छा लगा .

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  5. थैंक्स.............प्रियंका !!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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