Tuesday, February 1, 2011

उपहार

आज कि इस पावन  बेला पर,
क्या दे दूं मैं उपहार तुम्हें
मेरे पास न कोई जेवर
न है कोई खजाना जिससे संभव हो तुम्हें कुछ दे पाना
न ही है मेरे पास कोई धन - दौलत
जिससे कर सकूं तुम्हारी खिदमत
इसलिए ,चलो,
मैं......
तुम्हें एक संसार दूं
जहां बस प्यार ही प्यार दूं
दे दूं तुम्हें अपनी सारी मुस्कानें
अपनी सारी खुशियाँ ,सारे अफ़साने.
सारी दुआएं तेर नाम लिख दूं
हरेक मेरी चीज़ पे तुम्हें अधिकार दे दूं.
सुनहरे सपने का संसार दे दूं,
या कहो तो हकीकत का व्यापार दे दूं.
अपनी सारी यादें दे दूं
अपना सारा विश्वास दे दूं
और अपनी हरेक सांस दे दूं.
मेरा दुःख बस मेरे पास रहे
बाकी मेरा सब,तेरे नाम रहे.
आत्मा तक मेरी अर्पण तुम्हें
मेरा संपूर्ण समर्पण तुम्हें .
मुझे याद जो करना हो कभी
तो याद इसी से कर लेना तभी
कि तुम जहां भी रहो इस जहां में
मेरी आराधना ,मेरी शुभकामनायें
मेरा विश्वास,मेरा हरेक प्रयास
मेरी यह जान,मेरा ईमान
मेरी आत्मा................
मेरा साथ ,सदा तुम्हारे साथ है.



6 comments:

  1. बहुत ही बढि़या ।

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  2. सब तो दे दिया ..बचा ही कहाँ कुछ ..अच्छी प्रस्तुति

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  3. सदा ............थैंक्स!!

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  4. संगीता जी....आभार!!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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