Tuesday, July 16, 2013

शहर में रहा करो


तुम साथ नहीं
तुम पास नहीं
पर,शहर में हो
यह बात भी तसल्ली देती है.
जब सुन लेती हूँ ख़बर
तुम्हारे कहीं जाने की
अजीब सी हालत होती है मेरे मन की...
बड़ा उचाट सा रहता है
वापसी की बाट जोहता है.

मेरे शहर की वो हवा
जो तुम्हें छू कर गुज़रती है
उसे साँसों में भर लेने से
तेरे करीब होने का एहसास जग जाता है.
शहर में तेरी नामौजूदगी से
जीवन ठहर जाता है
सब कुछ थम जाता है .
इसलिए,सुनो मेरी कही यह बात
प्लीजज्ज जहां के हो वहीं आ जाओ,वापस.

26 comments:

  1. बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
    सादर...!

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  2. इस तरह बुलाया तो कहाँ रुक पायेगा कोई !!

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    1. आपकी बात सच हो जाए...काश

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  3. कोमल अहसासों से सजी कविता..

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    1. सराहने के लिए,थैंक्स!

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  4. दूर रहते हुए भी प्यार में इंतज़ार ....वाह बहुत खूब

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    1. कई बार सारी उम्र प्रतीक्षा में ही निकल जाती है

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  5. मन के प्रेम भरे एहसास अपने आप ही चालक आते हैं जुदाई में ...
    प्यारी रचना ...

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  6. बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......

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  7. बहुत सुंदर, शुभकामनाये
    यहाँ भी पधारे
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  8. जबरदस्त.....क्या बात है !!

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. I can completely relate to this Nidhi :)
    It is true, distance is ok if not uncrossable, someone's presence uplifts the spirits and keeps life enlightened. The absence is doubtlessly killing!

    Thanks for this lovely expression.
    -Shaifali

    "अंत तक अकेले है" -
    http://guptashaifali.blogspot.com/2013/07/blog-post_17.html

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  11. रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद!!

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  12. मेरे ब्लॉग में भी पधारें ..!!
    शब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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