ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, June 27, 2013
जेठ-आषाढ़
जेठ की तपती दुपहरी थी
गरम साँसों के बीच
लू भी जी जलाती थी.
तब...एकाएक
उसने कहा कि
वो दूर जाने वाला है
कुछ दिन का विरह
बीच में आने वाला है .
मैंने कहा,बता कर जाना
उसका कहना कि
मुझसे कहे बिना क्या
संभव होगा उसका जा पाना ?
वो गया ...
जब चला गया...
दुनिया ने बताया
जब लौटा ..तब भी....
जग ने ही खबर दी
उसकी वापसी की
बताने की ज़रूरत उसे
महसूस ही नहीं हुई .
उसकी ज़िंदगी वैसे ही
मेरे बिन भी चलती रही .
बड़े दिन बाद
एक दिन बात हुई
शिकवे हुए शिकायत हुई
पर,
उसकी आवाज़ की ठंडक
कलेजे के खून को जमा गयी
आषाढ़ के महीने में भी
रिश्तों में से गर्माहट
न जाने कहाँ गयी .
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!
आभार!
Deleteसटीक कथ्य- बहुत शानदार पंक्तियाँ
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteबहुत बढ़िया,सुंदर प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRecent post: एक हमसफर चाहिए.
थैंक्स!
DeletePainful it is!
ReplyDeleteVery beautifully written Nidhi.
:-)
Shaifali
http://guptashaifali.blogspot.com/2013/07/blog-post_8.html
दर्द भी एक पहलू है जीवन का ,शैफाली.
Deleteसिलसिले जारी रहें तो गर्मी लौट आती है ... आशाड भी तो किसी दिन खत्म हो जाता है ..
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