तू मुझसे रूठा
तेरा साथ छूटा
ज़िन्दगी वीरान
ख़ुशी न मुस्कान
कहीं से कोई ख़बर आती नहीं
तुम तक कोई डगर जाती नहीं
तेरे सिवा ...
न कोई था न कोई और है
कहूँ क्या....
नाउम्मीदी का एक दौर है
तेरी बातें तेरी यादें
ढाँढस बंधाती हैं
मेरी आस का चिराग़
दिन रात जलाती हैं
कहीं कोई तो चिंगारी
है अब तक बाकी
जो सुलगती और जलाती है
नाउम्मीदी के इस दौर में भी
उम्मीद मरने नहीं पाती है
तेरा साथ छूटा
ज़िन्दगी वीरान
ख़ुशी न मुस्कान
कहीं से कोई ख़बर आती नहीं
तुम तक कोई डगर जाती नहीं
न कोई था न कोई और है
कहूँ क्या....
नाउम्मीदी का एक दौर है
ढाँढस बंधाती हैं
मेरी आस का चिराग़
दिन रात जलाती हैं
कहीं कोई तो चिंगारी
है अब तक बाकी
जो सुलगती और जलाती है
नाउम्मीदी के इस दौर में भी
उम्मीद मरने नहीं पाती है
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