ऐसा कभी नहीं हो सकता
कि मन के प्लेटफॉर्म पर
तुम्हारी यादों से भरी
धीरे धीरे चलने वाली
मालगाड़ी न आये .
यह गाडी...
मेरे मन के एक कोने से
दूजे कोने तक
सब दर्द पहुंचाती है
मुस्कानें समेटती है
अश्क बटोरती है
पुरानी बातों को ढोती है
नयी यादों को चढाती है
सब कुछ सहेजती है ....
तुम खुद क्यूँ नहीं आ जाते कभी
यह गाडी लेकर ..
मेरे वजूद के स्टेशन के ...इस मन नाम के प्लेटफॉर्म पर