ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Thursday, July 19, 2012
इग्नोर करना
इग्नोर करना भी अच्छा होता है...
कभी न कभी इससे ..
मैं भी सीख जाउंगी
तुम्हारे प्रति उदासीन होना .
तुम्हारा मुझे इग्नोर करना मुझे सिखा देगा
कि कैसे तुमसे नफरत और प्यार किये बगैर
ज़िंदा रहा जा सकता है .
तेरी फ़िक्र,परवाह किये बगैर
खाना मेरा पच सकता है .
तेरे प्यार ,तेरी डांट,तेरे ख्याल के बगैर
सब नोर्मल रह सकता है .
रुको...
सुन तो लो
तुम्हारे इग्नोर करने का"शुक्रिया"
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Ignore..acha hai.......
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deletegood one...
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteजैसे तुम वैसे हम....
ReplyDeleteतब भी...और अब भी...
अनु
ह्म्म्म:-))
Deleteजो इग्नोरेंस में भी प्यार खोज ले...उसका प्रेम अतुलनीय है। जिंदगी संवर जाती है ऐसे इंसान की जिसे ऐसा प्रेमी मिले। पर मुश्किल डगर यही है कि जिसे इतनी आत्मीयता से प्रेम किया जा रहा होता है वह उस प्रेम को किंचित भी नहीं समझता...वह बहुत देर से समझता है। लेकिन जो उसकी इस इग्नोरेंस में भी प्यार ढूंढ़ रहा है उसका प्रेम बेमिसाल है...जो उसके इग्नोरेंस के लिए भी उसे शुक्रिया अदा करे...वह सचमुच बधाई का पात्र है और वस्तुत: सही मनुष्य है...काश हमें भी कोई इस कदर प्रेम करने वाला मिले!!!
ReplyDeleteधन्यवाद इस कविता के लिए...आप मेरी सुंदर कल्पनाओं को जीवित रखने का बहुत बड़ा संबल हैं...
प्रेम में और कुछ दिखाई देना बंद हो जाता है...जहां नज़र जाती है उसका करम नज़र आता है...और जब करम नज़र आये तो शुक्रिया कहना तो बनता है उस शख्स का जिसने प्यार के मायने सिखाये फिर इग्नोर कर के भी बहुत कुछ समझने में भी मदद की .
Deleteआपको भी मिल जाएगा कोई न कोई प्यार करने वाला ...तलाश जारी रखिये.
आपके उत्साहवर्धन हेतु ,आभार!!
कृपया स्पाम से ढूंढ़ लीजिए ...हमारी टिप्पणी.
ReplyDeleteढूँढ ली
Deleteआज तो अनुस्मारक भी स्पाम के हवाले.
ReplyDeleteदोनों को चंगुल से निकल दिया है .मेरे स्पैम बॉक्स को आपकी टिप्पणियों से बेपनाह मुहब्बत है
Deleteये भी अच्छा है...
ReplyDeleteबहुत खूब||||
:-)
थैंक्स!!
Deleteमुझे doubt है की आप कभी ऐसा सीख पाओगे, की ज़िन्दगी अब कभी वैसी नोर्मल जो जाएगी :)
ReplyDeleteये सभी doubt के बावजूद,बेहद खूबसूरत कविता.
तुम्हारा यह डाउट वाजिब है क्यूंकि यह संदेह तो मुझे भी है .यकीं होता तो मैं यह कविता थोड़े ही लिख रही होती
Deleteये भी सही है ... पर संदेह है इसमें भी :)
ReplyDeleteसंदेह तो निस्संदेह है !!
Deletebhaut hi acchi....
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया!!
Deleteक्या सच में वो इग्नोर था ... क्या आसान है करना ... या खुद का सीखना ...
ReplyDeleteबहुत कठिन है....
Deleteमैं आमंत्रित करता हूं आपको मेरे ब्लॉग बूंद-बूंद इतिहास की नई पोस्ट पर...
ReplyDeleteआउंगी अवश्य....
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