Monday, July 16, 2012

नज़र बट्टू



तेरे वादों से गुंथा
एक धागा है
जिसमें...
मैंने तेरे इंतज़ार के मनके पिरोये हैं.
प्रेम की एक माला तैयार की है.
पहने रहती हूँ ,उसे ....सदा.

उसमें एक लोकेट है
जो मेरे दिल के करीब रहता है
तेरी तस्वीर रख छोडी है,उसमें .
मेरे नज़र बट्टू हो तुम
अब किसी की नज़र
मुझपे असर नहीं करती.

25 comments:

  1. Replies
    1. अनु...शुक्रिया,पसंद करने और सराहने के लिए.

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  2. :-) मेरे नज़र बट्टू हो तुम
    अब किसी की नज़र
    मुझपे असर नहीं करती.

    Innocent, so loving!

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    1. प्यार बार बार नहीं होता .जब कोई चीज़ एक ही बार हो तो वो हमेशा मासूम ही रहती है .

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  3. मेरे नज़र बट्टू हो तुम
    अब किसी की नज़र
    मुझपे असर नहीं करती...:)

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  4. बहुत अच्छी रचना
    क्या कहने

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    1. पसंद करने के लिए,धन्यवाद!!

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  5. बहुत सुन्दर ,प्यारी रचना..
    दिल को स्पर्श करते भाव...
    :-)

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    1. हार्दिक धन्यवाद !!

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  6. प्रेरक,प्रभावशाली और सुंदर रचना|

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया,आपका .

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  7. प्रेमी पर कैसा आगाध विश्वास होता है,कि उसके द्वारा बोले गए हर शब्द प्रिय होते हैं और उसके द्वारा दिए गए वचन तो सचमुच एक सूत्र का काम करते हैं,इन वचनों से जो महीन धागा बनता है,वह दो दिलों को बहुत मजबूती से बांधे रखता है और प्रेमी की यादें इस महीन धागे में मनकों के समान ही पिरोई जाती हैं और दो-दिलों की धड़कने एक होने लगती हैं। दूरियां सिमटने लगती हैं। यही तो प्रेम है। और आपने तो इस प्रेम की माला में जिस लॉकेट की कल्पना की है,उसमें भी प्रेमी की तस्वीर है। इसके लिए आपने जिस उपमा को चुना है वह भी लाजवाब है--नजरबट्टू; सचमुच जिसका प्रेम इतना दृढ़ हो उसे किसी की नजर नहीं लग सकती। बहुत प्यारी सी कविता। इस के लिए बधाइयां स्वीकार करें।

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    1. आपने बहुत विस्तार से मेरी कविता की व्याख्या की..मनोज जी..शुक्रिया...!!
      इतनी गहनता से हर भाव को आपने समझा...प्रेम के विषय में लिखा .अच्छा लगा .

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  8. इन टिप्मैंपणियों में मैं भी कहीं हूं...

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  9. Very Charming , I have no words, but i like the clock, can i have this clock

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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