Friday, July 13, 2012

अजब प्यार



खुद ब खुद आ जाता है
बिन बुलाए ...
बिन खटखटाए ..
बिन कहे ...
बिन सुने ...
आना ही धर्म है जिसका
छा जाना ही कर्म है जिसका

अजब बदतमीज़ होता है न प्यार .

19 comments:

  1. बहुत जिद्दी होता है......
    और जाता है तो हमारा एक हिस्सा अपने साथ लिये जाता है...


    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे जी...जाने की बात क्यूँ कर की जाए.

      Delete
  2. आना ही धर्म है जिसका
    छा जाना ही कर्म है जिसका

    बहुत प्रबल ...सुंदर भाव ....!!
    शुभकामनायें.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सराहने के लिए,शुक्रिया!!

      Delete
  3. Replies
    1. हा..हा..हा.....जी सहमत हूँ मैं भी.

      Delete
  4. आता है और अपना हक़ बखूबी जमा लेता है ...

    ReplyDelete
  5. आना ही धर्म है जिसका
    छा जाना ही कर्म है जिसका

    अजब बदतमीज़ होता है न प्यार .
    .
    .
    .
    प्रेम ही धर्म है
    सब तथाकथित धर्म प्रेम की ही तो सीख देते हैं
    फिर भी न जाने क्यों सब मुर्दा प्रतीत होते हैं
    प्रेम जब आता है
    तो सीमा मर्यादा सब तोड़ देता है
    क्या धर्म ने सिखाया
    सब बौना हो जाता है
    प्रेम सब पर छा जाता है
    अनुभूति बन बरसता है
    वही कर्म बन जाता है
    .
    और तब धर्म के ठेकेदार
    सक्रिय हो प्रेम के विरुद्ध हो जाते हैं
    इंसानियत को भूल
    प्रेम को भूल
    बस प्रेम का गला घोंट देते हैं
    और तब प्रेम हंसता है
    उनकी बेवकूफियों पर
    नादानियों पर
    कि जिस प्रेम का
    तुम पाठ पढ़ाते हो
    उसी का अपने हाथों से
    कत्ल कर दे रहे हो
    .
    .
    .
    अजीब दास्तां है प्रेम की
    इस समाज में
    इस तथाकथितधर्म से आपूर्त समाज में
    .
    .
    .
    प्रेम समाज के नियम-कायदे नहीं मानता
    तभी तो बदतमीज और असभ्य कहलाता है
    इस सभ्य समाज में.

    .
    कुछ ज्यादा कह गया तो क्षमा चाहता हूं.

    ReplyDelete
    Replies
    1. नहीं आपने कुछ भी ज़्यादा नहीं कहा ...मुझे बहुत अच्छा लगा .अजीब दास्तां है प्रेम की
      इस समाज में
      इस तथाकथितधर्म से आपूर्त समाज में
      .
      .
      .
      प्रेम समाज के नियम-कायदे नहीं मानता
      तभी तो बदतमीज और असभ्य कहलाता है
      इस सभ्य समाज में.
      कटु सत्य है ...यह.

      Delete
  6. मेरी टिप्पणी क्यों निगल जाती है आपकी स्पैम
    क्या वह भी प्रेम-विरोधी है?

    ReplyDelete
    Replies
    1. अगर ऐसा होता तो मेरी सारी कवितायें भी स्पैम की चपेट में आ गयी होती .

      Delete
  7. प्यार अजब है प्यार गजब है, प्यार की यही कहानी
    रोज प्यार के किस्से सुनते, बचपन में सुनाये नानी,,,,,,,

    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

    ReplyDelete
  8. बिन बुलाये मेहमान
    की तरह होता है प्यार
    बहुत गजब लिखती है आप..
    :-)

    ReplyDelete
    Replies
    1. पसंद करने और सराहने के लिए ...तहे दिल से शुक्रिया!!

      Delete
  9. बिल्कुल...और इसको तो हम डांट भी नहीं सकते...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कह रहे हो...डांट भी नहीं सकते

      Delete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers