ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
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बहुत जिद्दी होता है......
ReplyDeleteऔर जाता है तो हमारा एक हिस्सा अपने साथ लिये जाता है...
अनु
अरे जी...जाने की बात क्यूँ कर की जाए.
Deleteआना ही धर्म है जिसका
ReplyDeleteछा जाना ही कर्म है जिसका
बहुत प्रबल ...सुंदर भाव ....!!
शुभकामनायें.
सराहने के लिए,शुक्रिया!!
Deleteबिल्कुल बदतमीज़ :)
ReplyDeleteहा..हा..हा.....जी सहमत हूँ मैं भी.
Deleteआता है और अपना हक़ बखूबी जमा लेता है ...
ReplyDeleteजी बिलकुल
Deleteआना ही धर्म है जिसका
ReplyDeleteछा जाना ही कर्म है जिसका
अजब बदतमीज़ होता है न प्यार .
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प्रेम ही धर्म है
सब तथाकथित धर्म प्रेम की ही तो सीख देते हैं
फिर भी न जाने क्यों सब मुर्दा प्रतीत होते हैं
प्रेम जब आता है
तो सीमा मर्यादा सब तोड़ देता है
क्या धर्म ने सिखाया
सब बौना हो जाता है
प्रेम सब पर छा जाता है
अनुभूति बन बरसता है
वही कर्म बन जाता है
.
और तब धर्म के ठेकेदार
सक्रिय हो प्रेम के विरुद्ध हो जाते हैं
इंसानियत को भूल
प्रेम को भूल
बस प्रेम का गला घोंट देते हैं
और तब प्रेम हंसता है
उनकी बेवकूफियों पर
नादानियों पर
कि जिस प्रेम का
तुम पाठ पढ़ाते हो
उसी का अपने हाथों से
कत्ल कर दे रहे हो
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अजीब दास्तां है प्रेम की
इस समाज में
इस तथाकथितधर्म से आपूर्त समाज में
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प्रेम समाज के नियम-कायदे नहीं मानता
तभी तो बदतमीज और असभ्य कहलाता है
इस सभ्य समाज में.
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कुछ ज्यादा कह गया तो क्षमा चाहता हूं.
नहीं आपने कुछ भी ज़्यादा नहीं कहा ...मुझे बहुत अच्छा लगा .अजीब दास्तां है प्रेम की
Deleteइस समाज में
इस तथाकथितधर्म से आपूर्त समाज में
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प्रेम समाज के नियम-कायदे नहीं मानता
तभी तो बदतमीज और असभ्य कहलाता है
इस सभ्य समाज में.
कटु सत्य है ...यह.
धन्यवाद!!!
Deleteमेरी टिप्पणी क्यों निगल जाती है आपकी स्पैम
ReplyDeleteक्या वह भी प्रेम-विरोधी है?
अगर ऐसा होता तो मेरी सारी कवितायें भी स्पैम की चपेट में आ गयी होती .
Deleteप्यार अजब है प्यार गजब है, प्यार की यही कहानी
ReplyDeleteरोज प्यार के किस्से सुनते, बचपन में सुनाये नानी,,,,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
हाँ जी.
Deleteबिन बुलाये मेहमान
ReplyDeleteकी तरह होता है प्यार
बहुत गजब लिखती है आप..
:-)
पसंद करने और सराहने के लिए ...तहे दिल से शुक्रिया!!
Deleteबिल्कुल...और इसको तो हम डांट भी नहीं सकते...
ReplyDeleteसही कह रहे हो...डांट भी नहीं सकते
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