ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, May 30, 2012
प्रेम की दातून
मैं तो एक भी दिन
इस दातून की कड़वाहट
के बिना नहीं जी सकती .
मुझे ,आदत हो गयी है,इसकी.
मुझे दरअसल और कुछ नहीं हुआ है
बस,प्यार से ही प्यार सा हो गया है .
ब्रश ,के लिए
तो फिर बाज़ार तक का चक्कर लगाना पड़ेगा...
यूँ भी मेरा मन उस प्लास्टिक में नहीं रुचता.
दातून कितना अपना सा है...
मेरे घर के पीछे जो खाली हिस्सा है न...वहाँ है एक प्रेम का
सॉरी -सॉरी नीम का पेड....दातून की दूकान !!
उसी से तोडती हूँ....चूस के ,चबा के
सारी कड़वाहट से खुद को मांजती हूँ
लोग थूक देते हैं,उसकी कड़वाहट
मैं तो उसे भी पी लेती हूँ
सच कहूँ.......
रोज इसी बहाने जी लेती हूँ
प्रेम से दिन शुरू कर लेती हूँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
sundar rachna
ReplyDeleteपसंद करने के लिए आभार!!
Deleteप्रेम में कड़वाहट
ReplyDeleteबस उतनी ही है जितनी
नीम की दातून में
और जो इस कड़वाहट को पीना
जीना सीख जाता है
वह प्रेम की जड़ों को सिंचने लगा
प्रेम अब हरा-भरा है
सच...
.
आपकी टिप्पणी पढ़ आकर आनंद आ जाता है
Deleteसच कहूँ.......
ReplyDeleteरोज इसी बहाने जी लेती हूँ
प्रेम से दिन शुरू कर लेती हूँ
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
धन्यवाद!!
Deleteगज़ब के भाव
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteशुक्रिया!!
ReplyDeleteबहुत खूब ...सच में प्रेम की आदत हो गई हैं
ReplyDeleteऔर आदतें मुश्किल से जाती हैं
Deleteकड़वाहट से खुद को माँजना.... और पी लेना...
ReplyDeleteबढ़िया बिम्ब प्रयोग.... सुंदर रचना...
सादर।
बिम्ब ..आपको अच्छा लगा,जान कर मुझे अच्छा लगा
Delete