Sunday, June 3, 2012

ज़िंदगी हैइच ऎसी.....




ज़िंदगी हैइच ऎसी.....
कब रंग बदल के
सामने आ खडी हो
किसी को पता नहीं होता .
सब सही चल रहा होता है
कि अचानक फोटू बदल जाती है
हाय ये जिंदगी
कहाँ ,किस कोने ,कुब्जे में ले जा के
पटखनी दे अंदाज़ा नहीं होता .

अक्सर,जब हारने लगते हैं
तो कहीं से चली आती है
कि ले थाम हाथ मेरा
अभी से कैसे हार मानने लगे
अभी तो लड़ना बाक़ी है,दोस्त.

हँसते हुए को रुलाने
रोते हुए को हँसाने
आ धमकती है
कभी इस मोड से ...कभी उस मोड पे.
मुझे कल मिली थी ,एक गली में
मुंह चिढाते हुए
कि आ जा...मस्ती करते हैं.कुछ देर.

जाते हुए गले लगा के
कान में कह कर गयी
अपने धमकाने के अंदाज़ में ....
बच्चू ...बच के रहने का
संभल के चलने का,अपुन से...
"

12 comments:

  1. अक्सर,जब हारने लगते हैं
    तो कहीं से चली आती है
    कि ले थाम हाथ मेरा
    अभी से कैसे हार मानने लगे
    अभी तो लड़ना बाक़ी है,दोस्त... वाकई ज़िन्दगी हैईच ऐसी

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  2. मुझे कल मिली थी ,एक गली में
    मुंह चिढाते हुए
    कि आ जा...मस्ती करते हैं.कुछ देर

    बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,,

    RECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,

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  3. जिंदगी का यूं मिलना
    अनायास
    अप्रत्याशित
    अचंभा सा लगता है
    पर सोचो जरा
    यह अचंभा
    यह पटखनी
    यह रुठना
    यह मनाना
    यह हंसना
    यह रुलाना
    ...और कितना कुछ
    इस जिंदगी के गलियारों में
    विरोधाभास सा है
    शायद तभी वह
    सुंदर है और
    धमकाने का सही
    हक भी है उसे
    .
    ताकि हम उसे जान सकें
    जी सकें उसके हर रूप रंग को
    .

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    Replies
    1. वाह जी वाह...आपकी टिप्पणी जो कुछ मुझसे कहना छूट जाता है...वो सब भी कह देती है.शुक्रिया!!

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    2. आप को पढ़कर जो महसूस होता है,बस उसी को शब्दों में बांध देता हूं। बस काव्य रचना का ज्ञान नहीं है...हां जैसे भी भाव उद्घाटित होते हैं उकेर देता हूं उन्हें,जस का तस। आपको अच्छा लगता है तो मेरी खुशी बढ़ जाती है...

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    3. बहुत दिन हो गए...आपकी नई कविता नहीं दिखाई दी और न ही आप. कहां हैं आप आजकल?

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  4. जी हाँ जिंदगी ऐसीच है, पण उसके साथ चलते रहने का, मस्त रहने का... बहुत सुन्दर

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  5. अपने धमकाने के अंदाज़ में ....
    बच्चू ...बच के रहने का
    संभल के चलने का,अपुन से...
    ..........ज़िन्दगी हैईच है....बहुत कुछ सीखने को मिलता है आपसे

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  6. कभी हंसाती है कभी रुलाती है ....
    सच है जिंदगी ऐसी ही है .... पता नहीं होता कब क्या कर जाती है ...

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  7. संभल के चलने का अपुन से.............बाप रे बहुत खौफ वाले शब्द, पर सही कहा जिन्दगी हैईच ऐसी, डरना तो होगा ही. बहुत अच्छी रचना, बधाई.

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