तुम कहते हो कि
लोग आँखें पढ़ लेते हैं .
मैं एक ऐसे शख्स से
वाकिफ हूँ ....
जो,बिन मुझे देखे सब जान लेता है
कब हूँ खुश कब उदास पहचान लेता है .
मोबाइल पे मेरी आवाज़ का एक हेल्लो
और वो पूछ लेता है ....
क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो
कभी वही मेरी आवाज़ और वो कहता है
क्या बात है कुछ उदास हो क्या?
मेरा इधर हेल्लो बोलना और उसका कहना
कौन सी बात से परेशां हो ,कहो तो.
मैं वही ..हेल्लो वही ,
मैं उसे दिखती भी नहीं
तब भी जानता है हाल ए दिल.
कहता भी है
मन पढ़ने के लिए ज़रूरी नहीं मिलना ज़रूरी है
एक से दूसरे तक एहसासों का बहना .
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
सराहने के लिए ,थैंक्स!!
Deleteकल 24/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुक्रिया....यशवंत .
Deleteवाह ... अनुपम भाव
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteमन के भावों की अनुपम प्रस्तुति
ReplyDeleteMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
आभार
Delete!!
्बस यही तो सच्ची अनुभूति होती है।
ReplyDeleteजी हाँ .
DeleteBahut khoob...bahut sundar....
ReplyDeleteथैंक्स, प्रकाश.
Deleteमन से मन का रिश्ता इतना ही गहरा होता है ...कम होता है, पर होता है
ReplyDeleteबहुत गहरे होते है.... मन के ये रिश्ते
Deleteहृदय और मन के तंतुओं में झंकृत होने वाली तरंगे बहुत तेजी से दौड़ती हैं...फिर मुख से निकले मामूली से शब्द से भी एक सहृदयी व्यक्ति उन तरंगों को पकड़ लेता है और आप के मन की दशा को समझ लेता है।
ReplyDeleteफिर भी मैं उस शख्स से मिलना चाहूंगा, क्योंकि आजकल सहृदयी लोगों का मिलना दुर्लभ होता जा रहा है।
मेरे पास ऐसे कई लोग हैं...मनोज जी.अपने को खुशकिस्मत मानती हूँ .
Deleteमेरी टिप्पणी स्पैम में है...कृपया उसे मुक्त करें।
ReplyDeleteमुक्त कर दिया है,जी.
Deleteएक-एक शब्द भावपूर्ण ... सुन्दर कविता
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDelete.............रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
आप आते रहा करिये ..बस.
Deletebilkul sahi bat....bahut bhavpurn...
ReplyDeleteसहमति हेतु शुक्रिया!!
Deleteइसे ही तो टेली-पैथी कहते हैं | बहुत खूब |
ReplyDeleteटेली पैथी ...जी हाँ.
Deleteदिल की बात दिलवाला ही जाना
ReplyDeleteदिल में रहने वाले ही दिल पढ़ पाते हैं
Deleteप्रेम कि सुंदर अनुभूती....
ReplyDeleteबहूत सुंदर रचना,,,
:-)
पसंद करने के लिए ...थैंक्स!
Deleteजब सम्बन्ध अंतरात्मा का हो तो कुछ भी पढ़ने या जानने की जरूरत नहीं पड़ती ...
ReplyDeleteप्रेम की गहरी अनुभूति लिए ....
रूहानी संबंधों हों तो किसी बात की ज़रूरत नहीं होती
Deleteये ही तो छिपी हुई जिंदगी का राज़ हैं .....मित्र कुछ समझ आए तो समझाना ज़रा
ReplyDeleteज़िंदगी के राज़ ...बताए नहीं जाते ...महसूस करे जाते हैं
Deleteयही तो है ..सच्चा मित्र ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteहम्म...सच्चा ,अच्छा मित्र.
Deleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद !!
Deleteऐसे लोग नसीब वालों को ही मिलते हैं....
ReplyDeleteहाँ ..यह बात तो सही है
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