ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, May 9, 2012
शुक्रगुजार
उन सब बातों के लिए
तुम शुक्रगुजार हो..मेरे
जिनमें मेरा कोई योगदान नहीं .
मेरे आने से ,तुम्हें छू जाने से ,
तुम्हारे पास होने से ...
अब,तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता .
न तो कोई चिड़िया चहकती है ,
न एक भी सांस मचलती है ,
फूल नहीं महकते हैं ,
जज़्बात नहीं बहकते हैं .
इस सब के लिए तुम अपने आप को देखो
अंदर झांको और खुद को शुक्रिया कह दो
इसके दोषी ..को पहचानो ,
वो कहीं तुम स्वयं ही तो नहीं .
मेरे यकीन को ...
जिस दिन मृत्यु की नींद सुलाया था,तुमने
उस दिन ..
तुम भी तो मर गए थे ...भीतर ही
और पता ही होगा तुम्हें
कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी.
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और पता ही होगा तुम्हें
ReplyDeleteकि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी.
दर्द भरे शब्द...
पसंद करने के लिए ...आभार.
Deleteमेरे यकीन को ...
ReplyDeleteजिस दिन मृत्यु की नींद सुलाया था,तुमने
उस दिन ..
तुम भी तो मर गए थे ...भीतर ही
और पता ही होगा तुम्हें
कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी.
भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
थैंक्स!!
Deleteमर्म स्पर्शी
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteओह
ReplyDelete:-)))
Deleteमेरे यकीन को ...
ReplyDeleteजिस दिन मृत्यु की नींद सुलाया था,तुमने
उस दिन ..
तुम भी तो मर गए थे ...भीतर ही
और पता ही होगा तुम्हें
कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी... अब क्या कहना ...
कुछ तो कह देते ,आप.
Deleteमर्म स्पर्शी
ReplyDeleteनीरज
धन्यवाद!!
Deleteसंवेदनशील रचना अभिवयक्ति....
ReplyDeleteआभार!!
Deleteउफ़ ...
ReplyDeleteन समझ पाने की तड़प कहाँ तक ले जाएगी !
शुभकामनायें दोनों को !
धन्यवाद.....न समझ पाने की तड़प बड़ी जानलेवा होती है.
Deleteबहुत गहरे दिल के दर्द के भाव ......उफ़
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया!!
Deleteहर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति......निधि जी
ReplyDeleteआपको अच्छी लगी...आभार!!
Deleteबेहद मार्मिक और अर्थपूर्ण, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteबहुत शुक्रिया..इन हर्फों का..
ReplyDelete...
"शुक्रगुज़ार रहूँगी..
हर नफ्ज़..
तू है जहाँ..
वो ही मेरा जहाँ..!!"
...
प्रियंका.....:-)))))))
Deleteइसमें क्या बोलूँ? शब्द सब उड़ गए है कहीं, कहते है इसका प्रत्युत्तर नहीं है उनके पास भी।
ReplyDeleteठीक है न......हम अनकहा भी सुन लेंगे.
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