Wednesday, May 9, 2012

शुक्रगुजार


उन सब बातों के लिए
तुम शुक्रगुजार हो..मेरे
जिनमें मेरा कोई योगदान नहीं .

मेरे आने से ,तुम्हें छू जाने से ,
तुम्हारे पास होने से ...
अब,तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता .
न तो कोई चिड़िया चहकती है ,
न एक भी सांस मचलती है ,
फूल नहीं महकते हैं ,
जज़्बात नहीं बहकते हैं .

इस सब के लिए तुम अपने आप को देखो
अंदर झांको और खुद को शुक्रिया कह दो
इसके दोषी ..को पहचानो ,
वो कहीं तुम स्वयं ही तो नहीं .

मेरे यकीन को ...
जिस दिन मृत्यु की नींद सुलाया था,तुमने
उस दिन ..
तुम भी तो मर गए थे ...भीतर ही
और पता ही होगा तुम्हें
कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी.

26 comments:

  1. और पता ही होगा तुम्हें
    कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी.

    दर्द भरे शब्द...

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    1. पसंद करने के लिए ...आभार.

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  2. मेरे यकीन को ...
    जिस दिन मृत्यु की नींद सुलाया था,तुमने
    उस दिन ..
    तुम भी तो मर गए थे ...भीतर ही
    और पता ही होगा तुम्हें
    कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी.

    भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....

    RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

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  3. मेरे यकीन को ...
    जिस दिन मृत्यु की नींद सुलाया था,तुमने
    उस दिन ..
    तुम भी तो मर गए थे ...भीतर ही
    और पता ही होगा तुम्हें
    कि मरे हुए को कुछ महसूस नहीं होता ,कभी... अब क्या कहना ...

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    1. कुछ तो कह देते ,आप.

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  4. संवेदनशील रचना अभिवयक्ति....

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  5. उफ़ ...
    न समझ पाने की तड़प कहाँ तक ले जाएगी !
    शुभकामनायें दोनों को !

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    1. धन्यवाद.....न समझ पाने की तड़प बड़ी जानलेवा होती है.

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  6. बहुत गहरे दिल के दर्द के भाव ......उफ़

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    1. दिल से शुक्रिया!!

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  7. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति......निधि जी

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    1. आपको अच्छी लगी...आभार!!

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  8. बेहद मार्मिक और अर्थपूर्ण, शुभकामनाएँ.

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  9. बहुत शुक्रिया..इन हर्फों का..

    ...

    "शुक्रगुज़ार रहूँगी..
    हर नफ्ज़..
    तू है जहाँ..
    वो ही मेरा जहाँ..!!"

    ...

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  10. इसमें क्या बोलूँ? शब्द सब उड़ गए है कहीं, कहते है इसका प्रत्युत्तर नहीं है उनके पास भी।

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    1. ठीक है न......हम अनकहा भी सुन लेंगे.

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

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